: हाइकोर्ट में लंबित नाै मामलों को मध्यस्थता में भेजने के लिए ली गयी सहमति रांची. राज्य स्तरीय मध्यस्थता निगरानी समिति की ओर से मध्यस्थता के लिए 800 से अधिक मामलों की पहचान की गयी है. सोमवार को झारखंड हाइकोर्ट के कॉन्फ्रेंस हॉल में झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी (झालसा) तथा राज्य स्तरीय मध्यस्थता निगरानी समिति की संयुक्त बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने की. निगरानी समिति के अध्यक्ष जस्टिस अनिल कुमार चाैधरी व सदस्य जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे. बैठक के दाैरान 800 से अधिक ऐसे मामलों की पहचान की गयी है, जिन्हें मध्यस्थता के माध्यम से निबटाया जा सकता है. झारखंड हाइकोर्ट के समक्ष लंबित नाै मामलों को मध्यस्थता द्वारा निबटाने को लेकर भेजने के लिए पक्षकारों की सहमति भी प्राप्त कर ली गयी. इसके अतिरिक्त ऐसे मामलों की पहचान और छंटनी की प्रक्रिया प्रतिदिन जारी है. यह प्रस्ताव भी पारित किया गया है कि ऐसे सभी मामलों के पक्षकारों को विशेष मध्यस्थता अभियान के बारे में सूचित किया जाये और उन्हें इसके लिए प्रेरित भी किया जाये. यदि मामला हाइकोर्ट के समक्ष लंबित है, तो पक्षकारों को पीडीजे सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के अध्यक्ष के समन्वय से हाइकोर्ट लीगल सर्विस कमेटी (एचसीएलएससी) के सदस्य सचिव द्वारा आवश्यक नोटिस जारी किया जाये और यदि मामला जिला न्यायालयों के समक्ष लंबित है, तो संबंधित डीएलएसए के माध्यम से नोटिस जारी किया जाये. इन प्रस्तावों पर की गयी कार्रवाई की समीक्षा के लिए 14 जुलाई को फिर बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया. इस माैके पर झारखंड हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, एससीएमएस के सदस्य सचिव, झालसा के सदस्य सचिव, एचसीएलएससी के सदस्य सचिव भी उपस्थित थे.
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