रांची (संवाददाता). पेसा कानून 1996 को लागू करने की मांग को लेकर बुधवार को विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों ने खूंटी के ऐतिहासिक डोंबारी बुरू पहाड़ी से पदयात्रा की शुरुआत की. यह पदयात्रा 21 मार्च को रांची पहुंचेगी. उस दिन अपनी मांगों को लेकर लोग विधानसभा का घेराव भी करेंगे. पदयात्रा में शामिल लोग अपने हाथों में पोस्टर भी थामे हुए थे. इनमें लिखा हुआ है झारखंड में पंचायत राज अधिनियम-2001 नहीं, पेसा कानून 1996 को लागू करो. गांव गांव की आवाज अबुआ दिशुम अबुआ राज.., पंचायत के हम गुलाम नहीं गांव के मालिक हैं, उलगुलान की धरती का है संकल्प, आदिवासी स्वशासन ही एकमात्र विकल्प. आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि पेसा कानून 1996 के 23 प्रावधानों को उपयुक्त नियमावली द्वारा जल्द लागू किया जाना चाहिए. इस मांग को लेकर आदिवासी संगठन लगातार आंदोलनरत हैं. आंदोलन की अगली कड़ी के तहत 24 मार्च को आदिवासी प्रतिनिधिसभा भी होगी. इसके बाद भी राज्य सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो मोरहाबादी मैदान में बड़ी संख्या में लोग सभा में शामिल होंगे. इस अवसर पर झारखंड उलगुलान संघ के संयोजक अलयेस्टर बोदरा, जिउरी गांव के बिनसाय मुंडा सहित अन्य लोगों ने भी संबोधित किया. पदयात्रा में सुषमा बिरुली, मेरी क्लाउडिया, आशीष गुड़िया, जॉ जुर्सन गुड़िया, लक्ष्मी नारायम मुंडा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है