Pahari Mandir Ranchi: भगवान भोलेनाथ के प्रिय सावन माह के शुरू होने में अब सिर्फ कुछ ही समय बचा है. इस पावन महीने का शिव भक्त पूरे साल इंतजार करते हैं. सावन में शिवालयों में महादेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है सावन के महीने में भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़ाना अत्यंत शुभ होता है. इसी वजह से सावन के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा का जलाभिषेक करने शिव मंदिर पहुंचते हैं. इस दौरान रांची के पहाड़ी मंदिर में भी भक्तों की भीड़ उमड़ती है. झारखंड में स्थित इस प्राचीन शिवालय के प्रति लोगों में अपार आस्था है. तो आइए आपको बताते हैं क्यों खास है भोलेनाथ का यह धाम.
धार्मिक महत्व के साथ देशभक्ति और प्राकृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम

झारखंड की राजधानी रांची में एक पहाड़ की चोटी पर स्थित पहाड़ी मंदिर, एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. यह भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जहां नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है की पहाड़ी पर स्थित नाग देवता का स्थल 55 हजार साल पुराना है. यहां अंग्रेजों के शासनकाल में स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी जाती थी. यही कारण है पहाड़ी मंदिर में आजादी के बाद हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराया जाता है. पहाड़ी पर स्थित बाबा भोलेनाथ का मंदिर काफी खूबसूरत है. इस मंदिर के प्रांगण से पहाड़ी के चारों ओर बिखरी हरियाली देखी जा सकती है. पहाड़ी मंदिर से पूरा रांची शहर बेहद भव्य और आकर्षक नजर आता है. इस मंदिर का पुराना नाम तिरीबुरु था, जिसे अंग्रेजों ने बदलकर हैंगिंग गैरी कर दिया था. इस मंदिर का इतिहास, देशभक्ति की भावना, धार्मिक महत्व और प्राकृतिक सौंदर्य, इसे खास बनाते हैं.
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सावन में होता है बाबा का भव्य श्रृंगार

राजधानी रांची में एक पहाड़ी पर स्थित पहाड़ी मंदिर भक्तों की श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है. सावन के पवित्र महीने में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है. ऐसी मान्यता है कि श्रावण मास में पहाड़ी मंदिर में स्थापित शिवलिंग का दर्शन करना काफी शुभ होता है. इस दौरान पहाड़ी पर बाबा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. हर दिन सुंदर और सुगंधित फूलों से भोलेनाथ का भव्य श्रृंगार किया जाता है. महादेव के इस अलौकिक स्वरूप के दर्शन के लिए श्रद्धालु करीब 350 फीट ऊंची की चढ़ाई कर मंदिर पहुंचते हैं. इस दौरान वे 468 सीढ़ियां चढ़ते हैं. सावन में बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों में होड़ मची रहती है. सुबह तीन-चार बजे से भक्त लाइन में लग जाते हैं. भक्तों की भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि इसे कंट्रोल करने के लिए पहाड़ी पर फोर्स की भी तैनाती की जाती है. बाबा की आराधना करने पहुंचे भक्त पहाड़ी मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित नाग देवता की गुफा में नाग देवता को दूध पिलाने और उनकी पूजा करने जाते हैं. कहते हैं कि पहाड़ी बाबा से मांगी गई कोई भी मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती.
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