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ranchi news : खजूर रविवार की आराधना कल, संत मरिया महागिरजाघर से जुड़े कैथोलिक विश्वासी लोयला मैदान में जुटेंगे

खजूर रविवार की आराधना 13 अप्रैल को होगी. इस दिन खजूर की डालियों के साथ विश्वासी गिरजाघरों में होनेवाली आराधना में शामिल होंगे. रांची महाधर्मप्रांत (संत मरिया महागिरजाघर) से जुड़े कैथोलिक विश्वासी 13 अप्रैल को सुबह 6:30 बजे से लोयला मैदान में एकत्र होंगे.

रांची. खजूर रविवार की आराधना 13 अप्रैल को होगी. इस दिन खजूर की डालियों के साथ विश्वासी गिरजाघरों में होनेवाली आराधना में शामिल होंगे. रांची महाधर्मप्रांत (संत मरिया महागिरजाघर) से जुड़े कैथोलिक विश्वासी 13 अप्रैल को सुबह 6:30 बजे से लोयला मैदान में एकत्र होंगे. जहां से वे खजूर की डालियों के साथ संत मरिया महागिरजाघर तक शोभायात्रा में शामिल होंगे. संत मरिया महागिरजाघर में खजूर रविवार की आराधना होगी. इसके मुख्य अनुष्ठाता आर्चबिशप विसेंट आईंद होंगे. वहीं, संत पॉल्स कैथेड्रल में सुबह छह बजे पवित्र प्रभुभोज आराधना होगी. मुख्य अनुष्ठक बिशप बीबी बास्के होंगे. जीइएल चर्च के विश्वासियों के लिए सुबह 6:30 बजे पहली आराधना होगी. मेन रोड स्थित क्राइस्ट चर्च में होनेवाली इस आराधना में बिशप सीमांत तिर्की उपदेशक होंगे.

होली एंजिल्स चर्च कोकर

होली एंजिल्स चर्च में खजूर रविवार की पहली आराधना सुबह पांच बजे होगी. होली ट्रिनिटी चर्च कडरू में खजूर रविवार की पहली आराधना सुबह 6:30 बजे में होगी. खजूर रविवार के साथ ही विश्वासी पवित्र सप्ताह में प्रवेश करेंगे, जिसकी समाप्ति ईस्टर या पुनरुत्थान पर्व के साथ होगी.

इसलिए मनाते हैं खजूर पर्व

होली एंजिल्स चर्च कोकर के फादर आनंद सुरीन ने बताया कि ईश्वर का वादा पूरा करने के लिए यीशु मसीह यरूशलेम में प्रवेश करेंगे. यरूशलेम के निवासी उनका स्वागत एक राजा की तरह करते हैं. बाइबल के अनुसार, तब लोगों ने यीशु का स्वागत खजूर की डाली और कपड़े बिछाकर एक राजा की तरह किया. उसी घटना की स्मृति में खजूर पर्व मनाया जाता है.

आर्चबिशप ने मांडर चर्च के गेट का किया उदघाटन

इधर मांडर स्थित संत अलोइस कैथोलिक चर्च के नवनिर्मित गेट का उदघाटन शुक्रवार को आर्चबिशप विसेंट आईंद ने किया. उदघाटन की धर्मविधि के बाद आर्चबिशप ने विश्वासियों को संबोधित किया. उन्होंने प्रभु यीशु को स्वर्ग का द्वार बताया. कहा कि प्रभु ही हमारा द्वार है. जिस प्रकार फिलिस्तीन में चरवाहे भेड़ों की सुरक्षा के लिए स्वयं लेटकर द्वार बन जाते थे, वैसे ही प्रभु यीशु भी हमारे लिए स्वर्ग पहुंचने का माध्यम, द्वार और रक्षक है. इसलिए जब-जब हम इस द्वार से प्रवेश करें, तो प्रभु के वचन का स्मरण करें. इसके बाद आर्चबिशप ने आशीष की प्रार्थना की और पवित्र जल का छिड़काव किया. धर्मविधि पूरा होने के बाद आर्चबिशप ने फीता काटा और द्वार खोलकर अंदर प्रवेश किया. इस अवसर पर स्मारक का भी अनावरण किया गया.

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Prabhat Khabar News Desk
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