रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड में नवजात शिशुओं की हत्या, असुरक्षित परित्याग और अंतिम सम्मान से वंचित करने जैसे संवेदनहीन मामलों को लेकर आवाज उठा रही पालोना अभियान की टीम ने साेमवार को झारखंड राज्यपाल से शिष्टाचार मुलाकात की. इस अवसर पर टीम ने नवजात शिशु सुरक्षा अधिनियम की तत्काल आवश्यकता पर राज्यपाल को एक विस्तृत प्रस्तुति दी. बताया गया कि टीम द्वारा एकत्र आंकड़े, केस स्टडीज और पिछले 10 वर्षों के ग्राउंड अनुभव यह दर्शाते हैं कि भारत में नवजातों के खिलाफ हो रहे अपराधों को न तो गंभीरता से दर्ज किया जाता है और न ही मौजूदा कानूनों के तहत उन्हें स्पष्ट संरक्षण प्राप्त है. अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर मृत अथवा जीवित नवजातों का छोड़ जाना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि मानवता पर गहरी चोट है. टीम ने बताया कि नवजात शिशु सुरक्षा अधिनियम न केवल नवजात शिशुओं की रक्षा करेगा, बल्कि परित्यक्त मृत शिशुओं को अंतिम संस्कार का अधिकार दिलाने और मानसिक स्वास्थ्य सहयोग जैसी प्रणालीगत जरूरतों को भी संबोधित करेगा. राज्यपाल ने आश्वासन दिया कि वे इस मांग को उचित मंच पर उठायेंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास समाज में जागरूकता लाने और नीति निर्माण को प्रभावित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पा-लो-ना अभियान की संस्थापक मोनिका गुंजन आर्य ने किया. माके पर टीम की संगीता कुजारा टाक, अधिवक्ता आरती वर्मा, श्वेता अग्रवाल और संगीता सिन्हा उपस्थित थीं.
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