रांची. राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों की जिन ग्राम पंचायतों में 50 फीसदी या उससे अधिक आदिवासी जनजाति रहती है, वहां शराब दुकान व बार खोलने के लिए ग्रामसभा की अनुमति जरूरी होगी. बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद(टीएसी) की बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक में झारखंड उत्पाद नियमावली-2025 के गठन संबंधित प्रस्तावित अधिसूचना के प्रारूप पर विचार किया गया.
आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासी को ही शराब दुकान व बार का लाइसेंस देने पर हुई चर्चा
टीएसी के सदस्य प्रो स्टीफन मरांडी ने बैठक में लिये गये निर्णय के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि तय एजेंडा के अनुरूप आदिवासी बहुल क्षेत्रों की उन ग्राम पंचायतों में, जहां 50% या अधिक आबादी आदिवासी जनजाति की है, यदि झारखंड सरकार के पर्यटन, कला, संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग द्वारा उन्हें अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय, राजकीय या स्थानीय महत्व के पर्यटन स्थलों (धार्मिक स्थलों को छोड़कर) के रूप में घोषित किया जाता है, तो पर्यटन को बढ़ावा देने एवं राजस्व हित में अवैध शराब पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से इन क्षेत्रों में ऑफ-प्रवृत्ति की खुदरा शराब दुकानों की बंदोबस्ती पर विचार किया गया. इसके अलावा इन क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट, बार एवं क्लब को इन क्षेत्रों में लाइसेंस प्रदान करने के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया. टीएसी के सदस्यों ने इस पर अपनी बात रखी. बैठक में इस बात पर सहमति बनी इस संबंध में ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी. ग्रामसभा की बिना सहमति के इन क्षेत्रों में शराब की दुकानें नहीं खुलेंगी. इसके अलावा इन क्षेत्रों में शराब दुकान, होटल, रेस्टोरेंट, बार एवं क्लब खोलने का लाइसेंस भी आदिवासी को ही देने पर भी चर्चा की गयी और इस पर विचार करने की बात कही गयी. बैठक में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, टीएसी के सदस्य प्रो. स्टीफन मरांडी, राजेश कच्छप, आलोक कुमार सोरेन, लुईस मरांडी, संजीव सरदार, सोनाराम सिंकू, जगत मांझी, जिगा सुसारन होरो, सुदीप गुड़ीय, राम सूर्या मुंडा, नमन विक्सल कोनगांड़ी, दशरथ गगड़ई, रामचंद्र सिंह समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे.
सीएनटी में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने पर ली जायेगी कानूनी सलाह
सीएनटी एक्ट के तहत जमीन खरीद-बिक्री के लिए थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने का मामला भी बैठक में उठा. इस संबंध में कहा गया है. इसमें दो प्रकार का थाना क्षेत्र का मामला है. राजस्व थाना क्षेत्र व पुलिस थाना क्षेत्र दोनों का मामला है. ऐसे में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त करने के पूर्व इसमें कानूनी सलाह लेने की बात पर सहमति बनी. इस मामले में सरकार कानूनी सलाह लेगी. इस संबंध में एक फैक्ट फाइंडिंग टीम का भी गठन होगा, जो थाना क्षेत्र के गठन के संबंध में जानकारी एकत्र करेगी.टीएसी का गठन वैधानिक, ली गयी है सलाह
प्रो स्टीफन मरांडी ने टीएसी के वर्तमान स्वरूप की वैधानिकता पर सवाल उठाये जाने को भी गलत बताया. उन्होंने कहा कि जिस प्रक्रिया के तहत टीएसी का गठन किया गया है, वह पूरी तरह वैध है, इस संबंध में महाधिवक्ता से कानूनी सलाह भी ली गयी है. उल्लेखनीय है कि वर्तमान टीएसी सदस्यों के मनोनयन में राज्यपाल की भूमिका समाप्त किये जाने को लेकर इसकी वैद्यता पर विपक्ष द्वारा सवाल खड़ा किया जाता है.मेसा बिल 2021 के संशोधन के प्रस्ताव स्थगित
टीएसी की बैठक में द प्रोविजन ऑफ द म्युनिसिपालिटी एक्सटेंशन टू द शेड्यूल एरिया (मेसा बिल) 2021 के संशोधन पर भी विचार किया गया. बैठक में इसे फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया गया.ईचा डैम की ऊंचाई कम करने पर बनी सहमति
बैठक में पश्चिमी सिंहभूम के खरकई नदी पर प्रस्तावित ईचा डैम के निर्माण को फिर से शुरू करने पर विचार किया गया. बैठक में डैम की ऊंचाई न्यूनतम करने व मात्र इतना रखने पर सहमति बनी जिससे की नहर में पानी छोड़ा जा सके. इस निर्णय से डैम के निर्माण से प्रभावित होने वाले गांव की संख्या 87 से घटकर 18 हो जायेगी. इसमें से भी दो गांव ही अधिक प्रभावित होगा, शेष गांव आंशिक रूप से प्रभावित होंगे. इस संबंध में यह भी निर्णय लिया गया कि अधिकारियों की एक टीम गठित कर प्रभावित गांव के लोगों को इसके बारे में बताया जाये. इस निर्णय के साथ काम शुरू करने की बात कही गयी. ज्ञात हो कि पूर्व में स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के तहत निर्मित होने वाले इस डैम के निर्माण पर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की अध्यक्षता वाली कमेटी की अनुशंसा पर रोक लगा दी गयी थी.आदिवासी हितों पर बात हुई, थाना क्षेत्र की बाध्यता पर विभाग से दस्तावेज तैयार करने कहा गया : सीएम
टीएसी की बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बैठक में आदिवासी हितों पर बात हुई है. आदिवासियों का समग्र विकास कैसे हो. यहां की भाषा-संस्कृति को कैसे संरक्षित किया जाये, इन मुद्दों पर सबने अपनी-अपनी बात रखीं. राज्य में आदिवासियों के बीच जमीन खरीद-बिक्री में थाना क्षेत्र की बाध्यता को लेकर भी टीएसी में चर्चा हुई. इन सभी चीजों पर विभागों को दस्तावेज तैयार करने के लिए कहा गया है. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य को आर्थिक सहयोग नहीं दिये जाने के एक सवाल पर कहा कि केंद्र सरकार देश के राज्यों का माई-बाप है. राज्यों के समग्र विकास में केंद्र की बड़ी भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि जो राज्य पिछड़ा है, जो समाज पिछड़ा है, जो वर्ग पिछड़ा है, उसपर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए. श्री सोरेन ने कहा कि आदिवासी हितों को लेकर कई विषयों पर चर्चा हुई है. उनसे जुड़े विभागों को मसौदा तैयार करने को कहा गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है