रांची. एसीबी ने हजारीबाग जिला में 2.75 एकड़ जमीन घोटाले से जुड़े एक मामले में आरंभिक जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट भेज दी है. इस मामले में एसीबी की ओर से तत्कालीन हजारीबाग डीसी विनय चौबे, तत्कालीन खासमहाल पदाधिकारी और पावर ऑफ अटॉर्नी के धारक विजय सिंह एवं सुधीर पर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी गयी है. एसीबी के अधिकारियों के अनुसार मामले में शिकायत के आधार पर वर्ष 2015 में जमीन को लेकर जांच के लिए पीई दर्ज की गयी थी. शिकायत में आरोप था कि खासमहाल और ट्रस्ट की भूमि को अवैध तरीके से दूसरे को हस्तांतरित किया गया.
आवेदन से ट्रस्ट का नाम जानबूझकर हटवाया
तत्कालीन डीसी विनय चौबे पर आरोप है कि उन्होंने आवेदन से ट्रस्ट का नाम जानबूझकर हटवाया, ताकि इसे अवैध रूप से हस्तांतरित किया जा सके. एसीबी के अधिकारियों ने यह भी पाया कि इस मामले में हाइकोर्ट ने वर्ष 2005 में आदेश दिया था कि ट्रस्ट की भूमि किसी अन्य को ट्रांसफर नहीं हो सकती है. इसके बाद भी राजस्व विभाग और तत्कालीन डीसी के आदेश पर जमीन को निजी व्यक्तियों को आवंटित किया गया. ट्रस्ट की उक्त जमीन को निजी लाभ की खातिर बेचने के लिए फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी का भी इस्तेमाल किया गया था. इसके लिए विजय सिंह और सुधीर कुमार के नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार की गयी थी. एसीबी ने जांच में पाया है कि मामले में कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर एक साजिश के तहत उक्त काम किया गया है.
जमीन बेचने के लिए फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल
जब एसीबी ने पिछले शुक्रवार को इस मामले की जांच पूरी की, तो यह जानकारी मिली कि उक्त भूमि 1948 में एक ट्रस्ट को 30 वर्षों के लिए लीज पर दी गयी थी. लीज की अवधि खत्म होने पर फिर से वर्ष 2008 के लिए इसे रिन्यू किया गया था. लेकिन वर्ष 2008 से 2010 के बीच साजिश के तहत उक्त भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर दिया गया और उसे 23 निजी व्यक्तियों को आवंटित कर दिया गया.
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