एक लाख से अधिक पौधे की पहली खेप नेपाल जायेगी
श्रीलंका, केन्या और मिस्र समेत कई देशों ने किया संपर्क
रांची(मनोज सिंह). झारखंड में अब टिश्यू कल्चर से पौधा तैयार किया जा रहा है. इससे तैयार पौधे की गुणवत्ता आम पौधे से अधिक है. इसके लिए एक उच्चस्तरीय लैब का निर्माण कराया गया है. यहां तैयार पौधा अब विदेशों में भी जाने लगा है. पिठोरिया के बालू गांव में शशांका एग्रो के लैब में तैयार पौधे की पहली विदेशी खेप (करीब एक लाख) सोमवार को रवाना होगी. नेपाल के फर्म ने इसका ऑर्डर दिया है. उनके प्रतिनिधियों ने यहां आकर पौधे की गुणवत्ता देखी है. श्रीलंका, केन्या, मिस्र और यूरोप के कई देशों ने भी पौधे के लिए संपर्क किया है.
स्थानीय लोगों को सिखाया गया है टिश्यू कल्चर
संस्थान के प्लांट में स्थानीय युवा और लड़कियों को टिश्यू कल्चर से पौधा तैयार करना सिखाया गया है. विशेषज्ञ की देखरेख में अत्याधुनिक विधि और हाइजीन के साथ पौधा तैयार किया जाता है. पहले एक बोतल में पौधा तैयार होता है. उसके बाद कोकोपिट या हल्की मिट्टी में प्राथमिक पौधा तैयार होता है. उसके बाद उसको प्लांट कर सेकेंडरी पौधा तैयार किया जाता है. यह प्लांटेशन के लिए तैयार हो जाता है. इस प्रक्रिया में पांच से छह माह तक तैयार होता है.
बिना मिट्टी के तैयार होता है आलू का बीज
यहां टिश्यू कल्चर के माध्यम से बिना मिट्टी के आलू बीज तैयार होता है. संस्था के मैनेजर बिजनेस निबिर राय ने बताया कि यहां जरबेरा, स्ट्रॉबेरी, केला व आलू के बीज अभी तैयार हो रहे हैं. आलू की कई वेराइटी तैयार हो रही है. इसमें ज्योति, चंद्रमुखी, हिमालनी आदि शामिल है. यहां से देश के अलावा विदेश भी भेजे जाते हैं.मुक्तिनाथ कृषि कंपनी ले जा रही पौधे
नेपाल की मुक्तिनाथ कृषि कंपनी केले का पौधा ले जा रही है. इसका नेपाल के लुंबनी प्रोविंस में प्लांटेशन किया जायेगा. झारखंड में टिश्यू कल्चर से पौधा तैयार होने की जानकारी कंपनी को सोशल मीडिया के माध्यम से मिली थी. इसके बाद उन्होंने वेबसाइट के जरिये अधिकारियों से संपर्क किया. यह कंपनी नेपाल के प्रसिद्ध मुक्तिनाथ विकास बैंक की इकाई है. कंपनी के प्रतिनिधि निर्मल भूसाल और सुशील उपाध्याय ने बताया कि कंपनी नेपाल के शेयर बाजार में सूचीबद्ध है. पांच लाख से अधिक ग्राहक हैं. 75 जिलों में काम हो रहा है. काठमांडू में मुख्यालय है.कृषि के एडवांस सेक्टर में हो रहा है काम
शशांका एग्रो के मैनेजर राजीव कुमार सिंह ने बताया कि टिश्यू कल्चर के अतिरिक्त कई प्रकार के शेड नेट, कोल्ड स्टोरेज सहित कृषि की सभी जरूरतों को पूरा करने का प्रयास हो रहा है. संस्था देश के कई कोने में काम कर रही है. अब विदेशों में भी काम शुरू हो गया है. कई दूसरे देशों ने भी संपर्क किया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है