महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी, लेकिन अपनी सेहत को प्राथमिकता देना अब भी चुनौती
ग्रामीण महिलाओं में हाइजीन की समस्या, शहरी महिलाओं में थायरॉइड, पीसीओडी, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा
तितली आसन, भ्रामरी, सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, वृक्षासन और योगनिद्रा बेहद असरदार
कई केस स्टडी से साबित, पीसीओडी और मोटापा रोकने में योग फायदेमंद
योग प्रशिक्षक की सलाह, महिलाओं की सेहत का सस्ता और असरदार उपाय है योग
उम्र के तीनों पड़ाव में एक समाधान है सिर्फ 30 मिनट का योगाभ्यास
बदलती जीवनशैली में शहरी और ग्रामीण युवतियों और महिलाओं के लिए योग जरूरी
रांची. हमारे देश में जिस महिला पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है, वही अक्सर अपनी सेहत को सबसे कम प्राथमिकता देती है. अब समय बदल रहा है. बदलती जीवनशैली और बढ़ती जागरूकता ने महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग किया है. सोशल मीडिया से भी कुछ हद तक जागरूकता बढ़ी है, लेकिन इन सबके बीच योग ऐसा माध्यम है, जो बिना खर्च के स्वास्थ्य सुरक्षा देता है. योग न केवल मेडिकल खर्च कम करता है, बल्कि दवाओं के साइड इफेक्ट से भी बचाता है. आज के पाश्चात्य प्रभाव वाले जीवन में योग महिलाओं को बचपन, किशोरावस्था और मातृत्व के तीनों पड़ावों में सुरक्षा प्रदान करता है. योग से महिलाओं को शारीरिक शक्ति, मानसिक संतुलन और आंतरिक सुंदरता का अद्भुत संगम प्राप्त होता है. प्रस्तुत है पूजा सिंह की विशेष रिपोर्ट…रांची. योग प्रशिक्षक सह शोधार्थी अनिता कुमारी बताती हैं कि ग्रामीण महिलाओं को सबसे अधिक हाइजीन संबंधी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं, जिससे मासिक धर्म और सर्वाइकल कैंसर की आशंका बढ़ जाती है. वहीं, शहरी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर, थायरॉइड, पीसीओडी जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं. इसका कारण बदलती जीवनशैली, असंतुलित खानपान और भारतीय यौगिक जीवन से दूरी है. हमारी जननी तीन आयुवर्ग में है. पहला बचपना, दूसरा किशोरावस्था और तीसरा गर्भधारण की अवस्था. उम्र के इन तीनों पड़ाव में उनको स्वास्थ्य की समस्या से जूझना पड़ रहा है. यदि हम बचपन से ही महर्षि पतंजलि के यौगिक नियम-धर्म को अपना लें और 15 से 30 मिनट का यौगिक अभ्यास कर लें तो स्वस्थ रह सकती हैं. आज की महिलाएं न सिर्फ घर की देखभाल कर रही हैं, बल्कि ऑफिस, सामाजिक जिम्मेदारियां, बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की सेवा भी उन्हीं के कंधों पर है. इसके साथ वह खुद के लिए समय नहीं निकाल पा रही. ऐसे में उसका सबसे बड़ा सहारा बनता है योग, जो उसे शरीर से शक्ति देता है. चेहरे पर आत्मविश्वास और सौंदर्य लाता है. मन में संतुलन और स्थिरता भरता है.तकनीक ने घटाया परिश्रम, बढ़ायी बीमारियां
आज की महिलाओं की जीवनशैली पहले से अधिक आरामतलब हो गयी है. घरेलू कामकाज में तकनीक और उपकरणों के बढ़ते प्रयोग ने परिश्रम घटा दिया है. पहले घर की सफाई, किचन का काम आदि महिलाओं को स्वाभाविक व्यायाम देते थे. अब यह खत्म हो गया है, जिसका नतीजा मोटापा, डायबिटीज और हार्मोनल समस्याओं के रूप में सामने आ रहा है. यहीं उनको बीमार भी बना रहा है, क्योंकि काम के बहाने महिलाएं कुछ न कुछ परिश्रम अवश्य कर लिया करती थीं.ग्रामीण और शहरी महिलाओं की अलग चुनौतियां
महिलाओं में वर्तमान समय में स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं सामने आ रही हैं. इसमें तेजी से बढ़ती समस्याओं में पीसीओएस, पीसीओडी, थायरॉइड, मूड स्विंग्स और अनियमित मासिक धर्म प्रमुख हैं. कई महिलाओं को दवाएं लेने के बावजूद राहत नहीं मिलती है. लेकिन, योग अपनाकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है. योग विशेषज्ञ के अनुसार सुप्त बद्धकोणासन, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम और योगनिद्रा से शरीर में सुधार होगा. साथ ही मन में भी एक नयी ऊर्जा आयेगी. योग तनाव को कम करता है, जिससे कोर्टिसोल और इंसुलिन रेसिस्टेंट नियंत्रित होता है. यही पीसीओएस और पीसीओडी में सबसे बड़ी राहत देता है.तीन आयुवर्ग में अलग-अलग समस्याएं
किशोरावस्था : मोटापा, अनियंत्रित मासिक धर्म और पीसीओडी की समस्या.गृहस्थ जीवन : इनफर्टिलिटी (बांझपन) की समस्या से बढ़ती है परेशानी.
बढ़ती उम्र (बुजुर्ग) : मेनोपॉज की समस्या आम हो जाती है.कम उम्र में पीसीओडी बड़ी समस्या
मोटापा और उसके बाद पीसीओडी की समस्या तेजी से किशोरियों में बढ़ती जा रही है. इस समस्या की मूल वजह हमारी जीवनशैली और खानपान है. जंक फूड और तले-भूने खाद्य पदार्थ की वजह से मोटापा हो रहा है. इसके बाद पीसीओडी की समस्या शुरू हो जा रही है. माधिक धर्म में अनियमितता, गड़बड़ी या महीनों तक मासिक धर्म का नहीं आने की दिक्कत से किशोरी जूझने लग रही है. वहीं, हार्मोनल डिसऑर्डर की वहज से चिड़चिड़ापन की समस्या हो जाती है. हालांकि योग में इसका निदान है. यौगिक अभ्यास से काफी हद तक इसे ठीक किया जा सकता है. पीसीओडी में भुजंगासन, त्रिकोणासन, मलासन, तितली आसन, बद्धकोणासन और भुजंगासन आदि फायदेमंद होता है.10 मिनट का आसन जो बनायेगा निरोगी
स्कूल जानेवाली बच्ची : मेडिटेशन, सूक्ष्म व्यायाम, वृक्षासनकामकाजी महिला : सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, तितली आसन, वृक्षासन, योगनिद्रा, मलासन, अर्ध हलासन, शीर्षासनघरेलू महिला : मलासन, सूक्ष्म व्यायाम, सूर्य नमस्कार, तितली आसन, वृक्षासन, योगनिद्रा
बुजुर्ग महिला : सूक्ष्म व्यायाम, योगनिद्रा, ध्यान, भ्रामरीये आसन महिलाओं के लिए वरदान
तितली आसन :
यह आसन किशोरियों के लिए बहुत फायदेमंद है. यह हिप्स और थाई को खोलता है, जिससे पीरियड्स के नियमित होने में मदद मिलती है, जो धीरे-धीरे पीसीओडी की समस्या में राहत देता है. इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों के तलवे आपस में मिलाकर सामने रखें और घुटनों को ऊपर-नीचे हिलाएं, बिल्कुल तितली के पंख की तरह.भ्रामरी :
यह ध्यान और मानसिक शांति के लिए सर्वोत्तम है. इसके लिए आंखें बंद करके गहरी सांस लें और छोड़ते समय ‘म्मम’ की ध्वनि निकालें. इससे तनाव, सिरदर्द और अनिद्रा से राहत मिलती है. सूर्य नमस्कार : सूर्य नमस्कार को संपूर्ण व्यायाम कहा जाता है. इसमें 12 सरल स्टेप होते हैं, जो शरीर को स्ट्रेच, डिटॉक्स और एनर्जाइज करते हैं. कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ 10 मिनट का सूर्य नमस्कार काफी ऊर्जा देता है.त्रिकोणासन :
यह आसन कमर, कमर के आसपास की चर्बी और पेट को टोन करता है. कामकाजी महिलाएं जिनको बैठने से दिक्कत हो और दर्द का अनुभव होता है इसमें लाभ पहुंचाता है. इसे करने के लिए दोनों पैरों को फैलाकर खड़े हों, एक हाथ नीचे पैर की ओर झुकाएं और दूसरा ऊपर आकाश की ओर. संतुलन बनाकर अवश्य रखें.वृक्षासन :
यह शरीर को संतुलित बनाने में सहायक होता है. वहीं, आंतरिक आत्मबल काे बढ़ाता है. इसको करने के लिए एक पैर पर खड़े होकर दूसरे पैर को जांघ पर रखें और हाथों को प्रार्थना मुद्रा में सिर के ऊपर जोड़ें.शवासन :
हर दिन के अंत में या दिनभर की थकान के बाद यह आसन शरीर को दोबारा ऊर्जा प्रदान करता है. इसे करने के लिए पूरी तरह पीठ के बल लेटकर शरीर को ढीला छोड़ दें. इससे गहरी शांति मिलती है.योगनिद्रा :
इसे ध्यान की उन्नत अवस्था कहा जाता है. इसको करन से शरीर तो विश्राम में होता ही है, लेकिन चेतना जागरूक रहती है. प्रतिदिन 15-20 मिनट का योगनिद्रा आपको अनिद्रा, तनाव और हार्मोनल असंतुलन में लाभ पहुंचायेगा.मलासन :
यह आसन पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद है. जिन महिलाओं में पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या है तो उसे दूर करने में सहायक है. इसको करने के लिए पैरों को थोड़ा फैलाकर स्क्वाट पोजिशन में बैठें. दोनों हथेलियों को प्रार्थना मुद्रा में जोड़ें और घुटनों को कोहनियों से हल्का दबाएं.अर्ध हलासन :
यह आसन थायरॉइड, मोटापा और मासिक धर्म की अनियमितता में राहत देता है. इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं. 45 डिग्री पर पैरों को रोके. यह आसन पेट की चर्बी घटाने और पेल्विक एरिया को सक्रिय करने में मदद करता है.शीर्षासन :
सिर के बल खड़े होकर किए जाने वाला यह आसन रक्त संचार को मस्तिष्क की ओर बढ़ाता है. इससे एकाग्रता, त्वचा की चमक और हार्मोनल संतुलन में लाभ पहुंचता है, लेकिन इसे हमेशा योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही सीखें या करें.सर्वांगासन :
यह थायरॉइड, अनिद्रा और हार्मोन असंतुलन में बेहद प्रभावी है. इसको करने के लिए पीठ के बल लेटकर पैरों और शरीर को ऊपर उठाएं, कमर को हाथों से सहारा दें. यह पूरे शरीर की गतिविधि को संतुलित करता है. महिलाओं के लिए यह ””””सर्व अंग”””” यानी सभी अंगों का आसन कहा जाता है. केस स्टडीछह माह के योगाभ्यास से दूर हुई परेशानी
राजधानी के एक प्रतिष्ठित स्कूल की आठवीं की छात्रा पीसीओडी की समस्या से पीड़ित थी. डॉक्टरों ने मोटापा और पैक्ड फूड ज्यादा लेना इस समस्या का कारण बताया. इसके बाद परिजनों ने योग से जोड़ा. छह महीने तक योग के नियमित अभ्यास से किशोरी का वजन भी काफी कम हुआ और पीसीओडी से होने वाली दिक्कतों में भी राहत मिला. रांची के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्स करने वाली 19 वर्ष की छात्रा भी वजन बढ़ने की वजह से पीसीओडी की समस्या से पीड़ित हो गयी थी. करीब एक साल से योग से जुड़ी हुई है. धीरे-धीरे समस्या से निजात मिलना शुरू हो गया है. चिड़चिड़ापन और स्ट्रेस की समस्या में भी निजात मिला है.महिलाओं ने साझा किया अनुभव
मेटास स्कूल की नौवीं कक्षा की छात्रा दिव्या मांझी ने बताया कि तीन सालों से योग कर रहे हैं. इस योग के माध्यम से तनाव मुक्त होकर पढ़ाई करने के साथ साथ मौसमी बीमारी में भी आसानी से राहत मिल जाती है. योग हर किसी के लिए फायदेमंद है.प्रीति बनर्जी गृहिणी हैं. वह बताती हैं कि गृहिणी होने के कारण खुद के लिए समय निकालना कठिन है. इसलिए ऑनलाइन योग का माध्यम चुने. इससे स्वास्थ्य ठीक रहने लगा. हम ठीक रहेंगे तब ही परिवार के सदस्यों को संभाल पायेंगे.
डॉ रानू मेहता पेशे से होमियोपैथिक चिकित्सक हैं. काम की व्यस्ता के बावजूद प्रतिदिन योग के लिए आधा घंटा समय देती हैं. वह बताती हैं कि योग करने से शक्ति मिलती है. नयी ऊर्जा का संचार होता है. नयी सोच बढ़ती है. दिनभर फ्रेश और ऊर्जावान महसूस करती हूं.सुधा वर्मा 80 साल की हैं, जो 15 वर्षों से योग कर रही हैं. सप्ताह में चार से पांच दिन योग करती हैं. वह बताती हैं कि योग से कई बीमारियों से राहत मिली. योग से मानसिक शांति के साथ साथ पैरों के दर्द में राहत मिला. योग के बहुत सारे फायदें हैं.
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