Ranchi News | नामकुम (रांची), राजेश वर्मा : ग्यारह (11) साल पहले चाचा के साथ धुर्वा बाजार गया था. चाचा से बिछड़ गया और वह न जाने किस तरह बांग्लादेश पहुंच गया. परिवार के लोग इधर-उधर तलाशते रहे, लेकिन वह नहीं मिला. 11 साल बाद जब वह अपने घर लौटा, तो परिवार के लोगों के चेहरे खिल उठे. ये कहानी है नामकुम के राजाउलातू पंचायत के सिंजु सेरेंग गांव के अजय टोप्पो की.
करीब 10 साल बाद बांग्लादेश के जेल से बाहर आया अजय
मानसिक रूप से कमजोर अजय टोप्पो भटककर बांग्लादेश पहुंच गया. वहां बंगलादेश की पुलिस ने पकड़कर जेल में डाल दिया. 9-10 साल तक जेल में रहने के बाद वहां की अदालत ने उसे रिहा कर दिया. वर्ष 2024 में उसकी रिहाई हुई. इसके बाद अजय और एक अन्य युवक को बांग्लादेश की पुलिस ने पश्चिम बंगाल के 24 परगना बॉर्डर के पास छोड़ दिया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की चिट्ठी मिलने के बाद सक्रिय हुई झारखंड पुलिस
रिहाई के बाद अजय टोप्पो जहां-तहां भटकता रहा. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से पत्र मिलने के बाद झारखंड पुलिस सक्रिय हुई. स्पेशल ब्रांच की टीम के निर्देश पर नामकुम पुलिस पश्चिम बंगाल गयी, जहां से अजय टोप्पो को लेकर वापस रांची लौटी. 25 जून 2025 को नामकुम थाना में पुलिस ने अजय टोप्पो को उसके परिजनों को सौंप दिया.
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ये है अजय टोप्पो के लापता होने और लौटने की कहानी
अजय से मिलने के बाद परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है. अजय भी अपने घर वालों से मिलकर बेहद खुश है. वर्ष 2014 में अजय अपने चाचा के साथ धुर्वा बाजार गया था. यहीं वह भटककर बॉर्डर पार बांग्लादेश पहुंच गया. थाना प्रभारी इंस्पेक्टर मनोज कुमार ने बताया कि विशेष शाखा की सूचना पर छानबीन की गयी, तो पता चला कि वर्ष 2014 से अजय लापता है. उसके माता-पिता का देहांत हो चुका है. फोटो व अन्य साक्ष्य लेकर झारखंड पुलिस परिजनों को लेकर बंगाल गयी और वहां से अजय को लेकर आयी.
बेटे से मिलने की आस लिये 2 महीने पहले चल बसी मां
अजय टोप्पो की मां बेटे से मिलने की आस लगाये बैठी थी. 11 साल से लापता बेटे को मृत मान चुकी थी. बेटे के लिए पल-पल तड़पती रही. दिसंबर 2024 में बेटे के जीवित होने की जानकारी मिली. वीडियो कॉल पर बेटे को देखा, तो मन को थोड़ा चैन मिला. मानो उसे नयी जिंदगी मिल गयी. दिसंबर से मां बेटे से मिलना चाहती थी. एक-एक दिन काटना मुश्किल हो गया था. मां हर दिन बेटे के आने की राह ताकती, लेकिन बेटा नहीं आया. बेटा जब घर पहुंचा, तो पता चला कि 2 महीने पहले उसकी मां इस दुनिया से चल बसी.
अजय ने अपनी बुआ और दादी को पहचाना
अजय टोप्पो ने अपनी बुआ और दादी को पहचान लिया. अभी भी उसकी मानसिक स्थिति पूरी तरह ठीक नहीं है. अजय ने बताया कि वह बांग्लादेश कैसे पहुंचा, उसे नहीं पता. उसे सिर्फ इतना याद है कि वह चाचा के साथ बाजार गया था. उसने बताया कि उसके साथ आये बिहार के युवक को भी रांची लाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों से मना कर दिया.
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