Pahari Mandir Ranchi | रांची,राजेश तिवारी: रांची पहाड़ी और उस पर स्थित आस्था के प्रमुख केंद्र पहाड़ी मंदिर (शिवालय) पर ध्यान देने की जरूरत है. यह पहाड़ी अब किसी भी तरह के नये निर्माण कार्य को बर्दाश्त नहीं कर पायेगी. ये हम नहीं,बल्कि सरकार की ओर से गठित उस तकनीकी दल ने कहा है,जो कुछ दिन पहले रांची पहाड़ी और उस स्थापित महादेव के मंदिर की भौतिक जांच करने पहुंची थी.
तकनीकी दल के सदस्य ने दी जानकारी
नाम नहीं छापने की शर्त पर तकनीकी दल के एक सदस्य ने बताया कि रांची पहाड़ी संकट में है. उनके दल ने मौका-मुआयना करने के बाद यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब पहाड़ी और इस पर स्थित मंदिर में निर्माण से संबंधित कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए. क्योंकि, पहाड़ी की मिट्टी ढीली हो गयी है. दल के सदस्य ने बताया कि फिलहाल वस्तुस्थिति का अध्ययन किया जा रहा है. टीम छह माह में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देगी.
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मंदिर परिसर को खोखला कर रहे चूहे

इधर, पहाड़ी मंदिर इन दिनों नयी समस्या से जूझ रहा है. यहां दिन-ब-दिन चूहों की तादाद बढ़ रही है, जो मंदिर की दीवारों, फर्श और नींव में सुरंगें बनाकर इसे अंदर से खोखला कर रहे हैं. चूहों ने मंदिर परिसर में लगे पेड़ों की जड़ों को भी खोखला कर दिया है. समय रहते उपाय नहीं किया गया, तो मंदिर को भारी नुकसान हो सकता है. सुरंग की वजह से मंदिर परिसर में कई जगहों पर फर्श धंस गयी है. जिस जगह जमीन खोखली हो गयी है, उसे टाइल्स के जरिये ढंकने की कोशिश की जा रही है.
गार्डवॉल बनाने का काम नहीं हुआ पूरा
पहाड़ी की मिट्टी को रोकने के लिए गार्डवॉल बनाया जा रहा है, जो आज तक अधूरा है. इससे बारिश में पहाड़ी से मिट्टी कट कर धीरे-धीरे नीचे आ रही है. इससे पहाड़ी और इस पर लगे पेड़-पौधों को नुकसान हो रहा है. आसपास की आबादी भी खतरे में है.
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पहाड़ी की सेहत से किया गया खिलवाड़

पहाड़ी मंदिर के सौंदर्यीकरण के नाम पर 10 सालों में करोड़ों रुपये खर्च हुए. साल 2016 में मुख्य मंदिर के ठीक नीचे बने यात्री शेड को तोड़ दिया गया. इससे मुख्य मंदिर की नींव कमजोर हो गयी. दीवार के नीचे की मिट्टी बह रही है. इसके बाद नये निर्माण के लिए जगह-जगह पिलर खड़े किये गये. मंदिर का सौंदर्यीकरण तो हुआ नहीं, उल्टे पहाड़ी की सूरत बिगड़ती चली गयी.
सौंदर्यीकरण के नाम पर केवल सीढ़ियां हुईं दुरुस्त
पहाड़ी मंदिर में सौंदर्यीकरण के नाम पर केवल सीढ़ियां दुरुस्त होती चली आयी है. अब तक पांच बार मंदिर की सीढ़ियों को ठीक किया गया है. सबसे पहले साल 1947 में स्व सागरमल चौधरी व शीशा महाराज ने मिलकर मंदिर की सीढ़ियां बनायी थीं. सागरमल ने 5000 और शीश महाराज ने 120 रुपये दिये थे. इसके बाद साल 1985 में स्व जगदीश मुरारका व जूलि चंद मित्तल ने पुरानी सीढ़ी को तोड़कर पत्थर की सीढ़ी बनवायी.
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फिर, साल 1992 में पहाड़ी मंदिर विकास समिति ने स्थापना काल से ही सीढ़ी बनाना शुरू किया और 1995 में निर्माण कार्य पूरा किया. साल 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में सीढ़ियों में टाइल्स लगाया गया, जिसकी लागत 78 लाख थी. साल 2025 में करोड़ों की लागत से सीढ़ियों को तोड़कर अब लाल पत्थर लगाया जा रहा है. इसके निर्माण कार्य का काम अंतिम चरण में है.
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