रांची. रांची विवि नयी शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में रामत्व के समावेश के लिए कृत संकल्पित है.यह बात रांची विवि के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कही. वह मंगलवार को भारतीय शिक्षण मंडल झारखंड प्रांत रांची और रांची विवि नागपुरी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा में रामत्व विषय पर शहीद स्मृति भवन में आयोजित राष्ट्रीय विचार गोष्ठी में बोल रहे थे.
भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना 1969 में हुई
मौके पर शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल की स्थापना 1969 में मुंबई में हुई थी. इसका मुख्य उद्देश्य भारत वर्ष में भारतीय परंपरा के अनुरूप शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है. राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और भारतीय संस्कृति के प्रतीक हैं. शिक्षा में रामत्व का तात्पर्य है राम के आदर्शों को चरितार्थ करने वाली शिक्षा.
शिक्षा विकास का मूलाधार है
रांची विवि के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि शिक्षा विकास का मूलाधार है. प्राचीन भारतीय शिक्षा मूल्य परक और नैतिकता परक थी, जबकि आधुनिक शिक्षा व्यावसायिक और रोजगार परक हो गयी है. शिक्षा में रामत्व का अभिप्राय उसमें मूल्यपरकता और नैतिकता का पूर्ण समावेश है. डॉ राजाराम महतो ने कहा कि झारखंड की सभी भाषाओं में रामत्व की व्याप्ति है. अध्यक्षता नागपुरी विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश नंद तिवारी ने की. स्वागत डॉ सुबास साहु, संचालन डॉ जयंत कश्यप और धन्यवाद ज्ञापन डॉ पार्वती मुंडू ने किया. इस अवसर पर डॉ वासुदेव प्रसाद, डॉ ओम प्रकाश, डॉ पार्वती मुंडू, डॉ निर्माला कर्ण, डॉ मनीषा सहाय, सुमन, सुबोध कुमार, डॉ शशि कुमार, डॉ राहुल कुमार, नीलेश कुमार, डॉ अशोक प्रमाणिक और बीएल दास आदि उपस्थित थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है