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ranchi news : रांची विवि की नयी पहल, पीजी के नियमित व नीड बेस्ड शिक्षक, शोधार्थी भी कॉलेजों में ले सकते हैं क्लास

ranchi news रांची विवि ने कॉलेजों में शिक्षकों की कमी से बाधित हो रही पढ़ाई को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पीजी शिक्षकों, शोधार्थियों और नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों की मदद लेने का निर्णय लिया है.

रांची. रांची विश्वविद्यालय ने अपने अधीनस्थ कॉलेजों में शिक्षकों की कमी से बाधित हो रही पढ़ाई को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए पीजी शिक्षकों, शोधार्थियों और नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों की मदद लेने का निर्णय लिया है. इस व्यवस्था के तहत संबंधित पीजी विभागाध्यक्षों को अधिकृत किया गया है, जो जरूरत के अनुसार शिक्षकों की व्यवस्था बनाने में सहयोग करेंगे.

पीजी शिक्षकों और शोधार्थियों की मदद से पूरा होगा सिलेबस

कॉलेजों में जिन विषयों में शिक्षकों की कमी है और इससे सिलेबस पूरा करने में कठिनाई हो रही है. वहां पीजी विभाग के शिक्षक, शोधार्थी या नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर जाकर पढ़ाई कराएंगे. इसके लिए संबंधित कॉलेज के प्राचार्य को पीजी विभागाध्यक्ष के पास अनुरोध पत्र भेजना होगा. यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक नियमित शिक्षक या नीड बेस्ड शिक्षक नियुक्त नहीं हो जाते.

विश्वविद्यालय प्रशासन का बड़ा फैसला

इस निर्णय को प्रभावी बनाने के लिए कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने सोमवार को सभी पीजी विभागाध्यक्षों और अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्यों के साथ आइक्वेसी सभागार में महत्वपूर्ण बैठक की. इसके अलावा, विवि प्रशासन ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग से 299 नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया को पुनः शुरू करने का अनुरोध करने का फैसला किया है. इसके लिए जल्द ही विभाग को आधिकारिक आग्रह पत्र भेजा जायेगा.

शिक्षकों की कमी से रुका मूल्यांकन कार्य

हाल ही में एक कॉलेज में स्नातक के एक विषय में शिक्षक न होने के बावजूद विद्यार्थियों ने मिड सेमेस्टर परीक्षा दी, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य में रुकावट के कारण रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो सका. इसके चलते विद्यार्थी अगले सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म नहीं भर पा रहे थे. जब यह मामला विवि प्रशासन तक पहुंचा, तो एक अन्य कॉलेज से शिक्षक का स्थानांतरण किया गया. लेकिन इससे नयी समस्या यह उत्पन्न हुई कि स्थानांतरण वाले कॉलेज में अब उक्त विषय के लिए कोई शिक्षक नहीं बचा.

विभागाध्यक्षों और प्राचार्यों को जिम्मेदारी

कुलपति ने इस तरह की समस्याओं को दूर करने के लिए विभागाध्यक्षों और प्राचार्यों को विशेष जिम्मेदारी सौंपी है. विश्वविद्यालय प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई और परीक्षा प्रक्रिया बाधित न हो.

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Prabhat Khabar News Desk
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