रांची. राष्ट्रीय आदिवासी नीति के प्रारूप के ड्राफ्ट पर जनसंगठनों द्वारा तेजी से काम किया जा रहा है. जून महीने में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि राष्ट्रीय आदिवासी नीति के ड्राफ्ट के साथ केंद्र को इसका प्रारूप सौंपेंगे. इस संबंध में प्रभाकर तिर्की ने बताया कि नीति को लेकर लोगों से सुझाव मांगे गये हैं. उन्होंने कहा कि पहले तैयार किया गया ड्राफ्ट पुराना हो गया था, इसलिए उसमें संशोधन करते हुए कई नयी चीजें जोड़ी गयी हैं. झारखंड के संदर्भ में कहें ,तो क्लाइमेट चेंज सहित कई बिंदुओं को इस ड्राफ्ट में जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि यहां के मौसम में अब काफी बदलाव आ गया है, जिससे आदिवासी जनजीवन भी प्रभावित हुआ है. उदाहरण के तौर पर क्लाइमेट चेंज से झारखंड में लाह का उत्पादन प्रभावित हुआ है, जिसका असर लाह उत्पादन करनेवाले आदिवासी किसानों पर भी हुआ है. इसलिए इन चुनौतियों से निबटने के लिए ड्राफ्ट में इन्हें शामिल किया गया है.
ट्राइबल विजडम को भी नये ड्राफ्ट में जोड़ा गया
इसके अलावा ट्राइबल विजडम (आदिवासी बौद्धिकता या देशज ज्ञान) को भी नये ड्राफ्ट में शामिल किया गया है. देश के अन्य राज्यों के प्रतिनिधि भी अपने राज्यों के मुताबिक ड्राफ्ट में अनुशंसाओं को जोड़ रहे हैं. मई तक यह काम हो जाने की संभावना है और जून में राज्यों के प्रतिनिधि राष्ट्रीय आदिवासी नीति के ड्राफ्ट के साथ केंद्र सरकार से मिलकर उन्हें प्रारूप सौंपेंगे. बताते चलें कि वर्ष 2006 में राष्ट्रीय आदिवासी नीति को लेकर पहली बार चर्चा हुई थी. चर्चा के आधार पर ड्राफ्ट बना और उसे संसद में रखा गया था. लेकिन उसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ा. इसके बाद 2015 में इसे लेकर एक कोशिश और की गयी, फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया. इस बार सरकार पर दबाव डालकर राष्ट्रीय आदिवासी नीति को बनाने और उसे पारित कराने की कोशिश होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है