रांची. रिम्स के पास अपनी एमआरआइ मशीन नहीं है. करीब चार साल मरीजों की जांच निजी सेंटर में हो रही है. मशीन की खरीदारी के लिए निकाली जा रही निविदा में लगातार सिंगल टेंडर के कारण देर हो रही थी. इसके बाद शासी परिषद में यह सहमति बनी थी कि देश के बड़े संस्थानों ने जिस कंपनी से मशीन की खरीदारी की है, उससे मशीन मंगायी जाये. इस प्रक्रिया के तहत एक कंपनी को मशीन का ऑर्डर दिया गया है, लेकिन अब खरीदारी से संबंधित तरह-तरह के कागजात ट्रेजरी द्वारा मांगे जा रहे हैं. रिम्स ट्रेजरी के प्रश्नों और उससे जुड़े दस्तावेज को उपलब्ध करा रहा है. ऐसे में कंपनी के बैंक खाते में पैसा नहीं जाने के कारण मशीन की डिलीवरी नहीं हो पा रही है.
हेल्थ मैप भी नहीं कर रहा जांच
वहीं, रिम्स परिसर में सरकार की अधिकृत एजेंसी हेल्थ मैप भी जांच नहीं कर रही है. एजेंसी का काफी पैसा रिम्स के पास फंसा है, जिसकी ऑडिट जांच होनी है. ऐसे में हेल्थ मैप भी सरकार की योजना से जुड़े मरीजों की नि:शुल्क जांच नहीं कर रहा है. यहां बताते चलें कि रिम्स की एमआरआइ मशीन 2021 से खराब है, जिससे मरीजों की जांच बंद है. कुछ दिनों तक हेल्थ मैप में जांच हो रही थी, लेकिन वह भी करीब दो साल से बंद है. सूत्रों ने बताया कि न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, हड्डी और सर्जरी ओपीडी में परामर्श लेने आये मरीजों को डॉक्टर जांच कर परामर्श देते हैं, लेकिन समर्थवान मरीज ही जांच करा पाते है.
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