रांची. गंभीर मरीजों की वजह से रिम्स में मृत्यु दर करीब 40 फीसदी बढ़ गयी है. ये गंभीर मरीज देर रात निजी अस्पतालों द्वारा रेफर किये हुए होते हैं. हर रात 11:00 बजे के करीब निजी अस्पतालों की एंबुलेंस रिम्स के क्रिटिकल केयर के बाहर खड़ी रहती हैं. हमारे पास इस समस्या का कोई हल नहीं है, क्योंकि रिम्स से मरीजों को लौटाया नहीं जा सकता है. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री को भी इससे अवगत कराया गया है. उक्त बातें रिम्स के निदेशक डॉ राजकुमार ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में कहीं.
रिम्स निदेशक ने बतायीं संस्थानक की उपलब्धियां
निदेशक ने बताया कि सेंट्रल लैब में 24 घंटे सेवा मुहैया करा दी गयी है. चार काउंटर ब्लड कलेक्शन और दो काउंटर रिपोर्ट देने के लिए बनाये गये है. यहां रोजाना 560-580 सैंपल की जांच हो रही है. 10 दिनों बाद लैब इंफॉर्मेशन सिस्टम (एलआइएस) शुरू हो जायेगा. इससे सभी रिपोर्ट एक ही स्थान पर ऑनलाइन उपलब्ध करायी जायेगी. भविष्य में नयी अत्याधुनिक मशीन को स्थापित करने की योजना है, जिससे ब्लड कलेक्शन के चार घंटे में रिपोर्ट उपलब्ध करा दी जायेगी. डेंटल इंस्टीट्यूट में ओटी और आइपीडी सेवा शुरू हो गयी है. प्रेस वार्ता में अधीक्षक डॉ राज कुमार, उपाधीक्षक डॉ अजय कुमार, पीआरओ डॉ राजीव रंजन, जीन एवं जीनोमिक्स विभागाध्यक्ष डॉ अनूपा प्रसाद और प्रशासनिक पदाधिकारी अनूप श्रीवास्तव मौजूद थे.
शीघ्र दूर होगी मैनपावर के कमी की समस्या
रिम्स निदेशक ने कहा कि मैनपावर और किचन के लिए टेंडर की प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है. इस वित्तीय वर्ष में 55 करोड़ की खरीद की जा चुकी है. वहीं, 70-80 करोड़ की खरीद प्रक्रियाधीन है. क्षेत्रीय नेत्र संस्थान का भवन अगस्त में मिल जायेगा. वहीं, 140 नर्सों की भर्ती में कुछ आपत्तियों के साथ फाइल रिम्स को वापस प्राप्त हुई है, जिसका शीघ्र निष्पादन कर लिया जायेगा. एमआरआइ जांच में अभी कुछ और महीने लग सकते हैं. डेढ़ से दो किमी की परिधि में स्थित एमआरआइ सुविधाओं के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट की निविदा निकाली जायेगी. जो सेंटर नियम और शर्तों को स्वीकार करेंगे, उनसे हम सेवा लेंगे. हेल्थ मैप द्वारा जांच बंद कर दी गयी है. बिल के लिए वित्त विभाग से अनुमति मांगी गयी है, इसके बाद ही भुगतान किया जायेगा.
होमगार्ड को बनाना होगा बायोमिट्रिक अटेंडेंस, वरना नहीं रहेंगे
निदेशक ने कहा कि कई होमगार्ड बायोमिट्रिक अटेंडेंस नहीं लगाना चाहते, क्योंकि तीन दिन आते हैं. इसके लिए होमगार्ड के अधिकारियों को पत्र भेजने के लिए कहा गया है. जो होमगार्ड नियमित आना चाहते है, वहीं ड्यूटी करें. जब हम एक होमगार्ड को 30 हजार देंगे, तो निजी एजेंसी को क्यों नहीं रखें? जल्द ही एजेंसी के लिए निविदा निकाली जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है