खलारी. रोहिणी परियोजना के हाजरी घर में लाखों रुपये की लागत से लगायी गयी आरओ (रिवर्स ओस्मोसिस) मशीन फिलहाल बेकार पड़ी हुई है. अप्रैल 2025 में इसे स्थापित किया गया था, लेकिन अब तक इसका समुचित उपयोग नहीं हो सका है. न ही उसके लिए प्लेटफॉर्म का निर्माण कराया गया और न ही जल निकासी (ड्रेन) की कोई व्यवस्था की गई है. मशीन को बिना किसी प्लेटफार्म के सीधा जमीन पर रख दी गयी है, जिससे तकनीकी समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं. परियोजना कामगारों का कहना है कि दो महीनों में यह मशीन मुश्किल से दस दिन ही चालू रही होगी. वर्तमान में भीषण गर्मी के समय जब स्वच्छ और ठंडे पानी की सबसे अधिक आवश्यकता है, उस समय पानी की आपूर्ति पूरी तरह ठप है. नल (टोटी) भी मशीन से अलग हो चुकी है, जिससे पानी लेने की कोई सुविधा नहीं है. इस लापरवाही से रोहिणी परियोजना में काम कर रहे श्रमिकों में भारी असंतोष है. उनका कहना है कि जब मशीन से पानी नहीं मिल रहा तो फिर इतनी बड़ी राशि खर्च कर इसे लगाने का क्या औचित्य है?
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