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Ranchi News : गुरु आदित्य योग के शुभ संयोग में 11 जुलाई से शुरू होगा सावन

सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हाेगी. चंद्र प्रधान इस माह में भगवान शिव की पूजा को महत्वपूर्ण और प्रभावकारी माना जाता है.

भगवान शिव की पूजा से सभी रोग, विकार और क्लेशों से मिल सकता है छुटकारा

रांची. सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हाेगी. चंद्र प्रधान इस माह में भगवान शिव की पूजा को महत्वपूर्ण और प्रभावकारी माना जाता है. श्रावण मास एक ऐसा अवसर है जब मनुष्य अपने में अंतर्निहित सत्य स्वरूप शिव और ऊर्जा के रूप में विध्यमान शक्ति को एकाकार कर सकता है. सावन माह में भगवान शिव की पूजा करने से सभी रोग, विकार और कलेशों का नाश हो सकता है. 11 जुलाई को गुरु आदित्य योग है. इसका महत्ता ज्यादा है. कहा जाता है कि इस योग में भगवान शिव के पूजन के साथ अंबिका का पूजन करें. वे सभी मनोवांछित भोगों और फलों को देने वाली हैं. यह सावन माह शुक्रवार से शुरू होकर शनिवार को समाप्त हो रहा है. सावन माह में जितने भी सोमवार पड़ते हैं, उन सबमें भगवान शिव का व्रत किया जाता है. सोमवार चूंकि चंद्र प्रधान दिन है, इस दिन शिव का पूजन और अभिषेक करने से मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.

इस बार चार सोमवारी व्रत पड़ रहे हैं. सावन मास की शुरुआत 11 जुलाई (शुक्रवार) को स्नान-दान और व्रत की पूर्णिमा से होगी. इस दिन रात्रि 1:48 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी, जिसके बाद प्रतिपदा लगेगी. 11 जुलाई रात्रि 1:59 बजे तक प्रतिपदा का मान रहेगा. इस दिन से ही भोलेनाथ का जलाभिषेक आरंभ हो जायेगा, जो पूरे महीने विशेष रूप से शुभ माना गया है. श्रद्धालु यदि प्रतिदिन जलाभिषेक न कर सकें, तो प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव को जल अर्पित करने का विशेष फल बताया गया है. पहला सोमवारी 14 को है. दूसरा 21 जुलाई, तीसरा 28 और अंतिम सोमवारी चार अगस्त को है. वहीं, नौ अगस्त शनिवार को रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जायेगा. वहीं, 10 जुलाई को स्नान-दान व व्रत की पूर्णिमा है. इस मास में रुद्राभिषेक कराने और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराने का विशेष महत्व है. इसके अलावा अतिरुद्र, महारुद्र अथवा लघु रुद्र का पाठ करने का भी महत्व है. इसके अलावा पार्थिव शिव लिंग की पूजा का भी विशेष महत्व है. 25 जुलाई से इस मास का शुक्ल पक्ष शुरू हो जायेगा. इस पक्ष में अष्टमी तिथि की वृद्धि होने के कारण यह पक्ष 16 दिनों का है.

कृष्ण पक्ष में पड़नेवाले व्रत :

12 को अशून्य शयन व्रत. 14 को संकष्ठी गणेश चतुर्थी व्रत, 15 को मौना पंचमी, 16 को बंगाल में मनसा पूजा आरंभ, 21 को कामदा एकादशी, 23 को मास शिवरात्रि व्रत और 24 को स्नान-दान व श्राद्ध की अमावस्या है.

शुक्ल पक्ष में पड़नेवाले व्रत :

26 को स्वामी करपात्री महाराज की जयंती, 27 को मधुश्रावणी व हरियाली तीज, 28 वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत, 29 नागपंचमी, 31 गोस्वामी तुलसीदास महाराज की जयंती, चार अगस्त झूलन यात्रा प्रारंभ, पांच पुत्रदा एकादशी, छह को प्रदोष व्रत, आठ को व्रत की पूर्णिमा व नौ को स्नान दान की पूर्णिमा व रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जायेगा. इस दिन दिन के 1.23 बजे तक पूर्णिमा है. आठ को दिन के 1.41 के बाद से पूर्णिमा लग रहा है. इस कारण इस दिन व्रत की पूर्णिमा का मान्य रहेगा.

पहाड़ी मंदिर में अरघा से होगा जलाभिषेक

पहाड़ी मंदिर में सावन सोमवारी पर अरघा से जलाभिषेक होगा. मंदिर समिति की ओर से प्रत्येक सोमवार को अरघा लगाया जायेगा. नागपंचमी को भी भक्तों की होनेवाली भीड़ को देखते हुए अरघा लगाया जायेगा. श्रद्धालुओं को जलाभिषेक करने के लिए कोई परेशानी न हो इसके लिए पर्याप्त जल व प्लास्टिक के लोटा की व्यवस्था की गयी है. वहीं, विश्वनाथ मंदिर व महाकाल मंदिर सहित अन्य मंदिरों के बाहर भी जल की व्यवस्था रहेगी. वहीं, प्रत्येक सोमवार को मुख्य प्रवेश द्वार के बगल से मुख्य मंदिर के लिए भक्तों को जाना होगा. वहीं, मुख्य सीढ़ी से उन्हें बाहर आना होगा. इसके अलावा प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी से लेकर पुलिस बल व वोलेंटियर तैनात रहेंगे. इसके अलावा सीसीटीवी की मदद से निगरानी की जायेगी ताकि भक्तों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो. पहाड़ी मंदिर में सावन की तैयारी को लेकर उपायुक्त की अध्यक्षता में चार जुलाई को समाहरणालय परिसर में शाम साढ़े चार बजे से बैठक होगी.

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