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शिबू सोरेन से जुड़े लोकपाल मामले पर सुनवाई, वकील की दलील- भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत दुर्भावनापूर्ण

शिबू सोरेन के वकील ने अदालत को बताया कि भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे द्वारा शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल से की गयी भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित है. लोकपाल इस शिकायत पर संज्ञान नहीं ले सकते थे

झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन से जुड़े लोकपाल मामले की सुनवाई दिल्ली हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की अदालत में हुई. आंशिक सुनवाई के बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 25 अगस्त की तिथि तय की है. अदालत ने पूर्व में पारित अंतरिम आदेश को बरकरार रखा.

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की. उन्होंने अदालत को बताया कि भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे द्वारा शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल से की गयी भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित है. लोकपाल इस शिकायत पर संज्ञान नहीं ले सकते थे, क्योंकि यह कानूनी आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं था.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि जो आरोप लगाया गया है वह शिकायत की तारीख से सात साल पहले का है. अत: इस पर विचार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने दलील दी कि वर्ष 2013 के बाद कोई प्रविष्टि नहीं है. कानून में सीमा तय है. किसी भी संपत्ति की जांच नहीं की जा सकती है. श्री सिब्बल ने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून-2013 की धारा 53 के प्रावधानों के तहत शिकायत में अपराध होने की, जो तारीख दी गयी है, उसके सात साल बाद शिकायत नहीं की जा सकती है.

वहीं लोकपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नादकर्णी ने प्रार्थी की दलील का विरोध किया. श्री मेहता ने अदालत से कहा कि लोकपाल के समक्ष मामला भ्रष्टाचार के लिए दोषसिद्धि के स्तर पर नहीं है और प्राधिकरण ने प्रारंभिक जांच के आदेश दिये हैं, ताकि वह तय कर सके कि शिकायत पर आगे सुनवाई हो या नहीं. श्री नादकर्णी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाये हैं.

शिकायतकर्ता ने इससे पहले एक आवेदन देकर शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल की कार्रवाई पर स्थगन के हाइकोर्ट के अंतरिम आदेश को हटाने का अनुरोध किया था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी शिबू सोरेन ने याचिका दायर कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकपाल में दर्ज शिकायत के आधार पर सीबीआइ की पीइ जांच को चुनाैती दी है. उन्होंने पीइ जांच पर रोक की मांग की है. पूर्व में अदालत ने प्रार्थी को अंतरिम राहत दी थी. लोकपाल को अगस्त 2020 में दी गयी अपनी शिकायत में निशिकांत दुबे ने दावा किया था कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने सरकारी कोष का दुरुपयोग कर धन-संपति अर्जित की तथा वे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं.

Prabhat Khabar News Desk
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