श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन आरती, हवन और पूर्णाहुति के बाद कथा का समापन हुआ
रांची. अग्रसेन भवन के सभागार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रभु की शरण में आने वालों का उद्धार स्वयं भगवान करते हैं. उन्होंने कहा कि जो भी भक्त सच्चे हृदय से प्रभु को अपनाता है, उसका कल्याण सुनिश्चित है. भगवान अपने भक्तों के लिए स्वयं कष्ट सहने से भी नहीं हिचकते. कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि जिन्हें समाज स्वीकार नहीं करता, उन्हें भगवान अपनी शरण में स्थान देते हैं. श्रीकृष्ण ने 16100 कन्याओं को, जिन्हें भौमासुर असुर ने बंदी बना लिया था, मुक्त कर उनका सम्मान समाज में पुनः स्थापित किया. इन कन्याओं के अनुरोध पर भगवान ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर समाज को यह शिक्षा दी कि शरणागत का अपमान नहीं होने देना चाहिए. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि हमारा शरीर पंचतत्व से बना है और एक दिन माटी में मिल जायेगा, इसलिए मिथ्या बातों से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है. सत्य के मार्ग पर अडिग रहना ही सच्चा धर्म है. उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति दुखों से घिर जाए, तब उसे प्रभु का स्मरण कर लेना चाहिए, क्योंकि वही परम सहारा हैं. कार्यक्रम में मुख्य यजमान लता देवी केडिया, ओम प्रकाश केडिया, निरंजन केडिया, अजय केडिया और संजय केडिया परिवार सहित उपस्थित थे. सप्तम दिवस की कथा व आरती के साथ श्रीमद्भागवत कथा का विधिवत समापन किया गया. इसके पश्चात हवन, पूर्णाहुति व गुरुजी का स्वागत हुआ. मौके पर ओमप्रकाश केडिया, निर्मल बुधिया, प्रमोद सारस्वत, पवन मंत्री, श्रवण जालान, पवन शर्मा, गौरव अग्रवाल मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है