रांची. डीएवी गांधीनगर में विद्यार्थियों को समर कैंप के दौरान स्वामी मुक्तरथ ने योगाभ्यास कराया. मौके पर उन्होंने योग के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कई बच्चे ऐसे होते हैं, जिनमें प्रतिभा तो होती है, लेकिन वह अंदर ही दबी पड़ी रहती है और उसका विकास नहीं हो पाता है. इस कारण बच्चे बहुत अच्छा नहीं कर पाते हैं. वहीं अपने लक्ष्य से दूर हो जाते हैं. भारत में सदियों से योग पर बल दिया जाता रहा है और बच्चों का उपनयन संस्कार भी योग साधनाओं से ही संपन्न एक विधि है.
मानसिक तप है योग
उन्होंने कहा कि योग शारीरिक व्यायाम नहीं है. यह साधनात्मक मानसिक तप है, जो दबे पड़े कुंठित संस्कारों को उजागर करता है. सुस्त प्रवृत्ति वाले बच्चे को मानसिक रूप से सक्रिय बनाता है और अति चंचल मन वाले बच्चों के दिमाग को शांत करता है. प्राचार्य पीके झा ने कहा कि वर्तमान समय में योग की बहुत जरूरत है. योग के अभाव में कम उम्र में ही कई प्रकार की समस्याएं आने लगी हैं और वैचारिक रूप से व्यक्ति बीमार हो रहे हैं.
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