कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में दीक्षांत समारोह में शामिल हुए योगदा सत्संग आश्रम के स्वामी
रांची. योगदा सत्संग आश्रम के स्वामी सत्यानंद ने कहा कि कोई भी कठिनाइयों से नहीं बचा है. माता-पिता के रूप में हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को कष्ट न हों और हमारे माता-पिता ने भी यही हमारे लिए चाहा. लेकिन, यह धरती कभी भी किसी को सौ प्रतिशत सहज जीवन नहीं देती. हमें बड़ी चुनौतियों का सामना करना ही पड़ेगा. जब भी आपके हृदय में आनंद का एक छोटा सा बुलबुला उठे, जान लीजिए कि वह गुरुजी की वाणी है. उनका संदेश है. आनंद मधुर है और दुख एक स्वप्न है. आनंद पर अधिकार नहीं है, हम केवल उसे थाम सकते हैं. स्वामी सत्यानंद परमहंस योगानंद द्वारा स्थापित सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप की अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में मंगलवार को आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. स्वामी सत्यानंद ने कहा कि हमारे मन में हमेशा प्राथमिकताएं होती हैं, लेकिन आनंद को चुनना, यह सबसे महत्वपूर्ण है. भ्रम के बादल केवल ध्यान भटकाने वाले हैं. उन्हें इससे अधिक महत्व न दें. यही एकमात्र उपाय है, जिससे हम सिद्ध कर सकते हैं कि ईश्वर का आनंद विपत्ति के सामने भी जीवित रह सकता है और उसमें वृद्धि भी कर सकता है. स्वामी ने कहा कि ईश्वर के आनंद को स्वीकार कीजिए. उसके लिए वैज्ञानिक ध्यान द्वारा अपनी ग्रहणशीलता को बढ़ाइए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है