बिशप सीमांत तिर्की ने दिया उपदेश, कहा हमें कलीसिया, मंडली और व्यक्तिगत रूप से बच्चों के लिए करना है काम
रांची. जीइएल चर्च की पहली सदस्य मार्था का बपतिस्मा दिवस बुधवार को बाल दिवस के रूप में मनाया गया. मार्था दानापुर की एक अनाथ बच्ची थी जिसका बपतिस्मा, जर्मन मिशनरी इमिल शत्स ने 25 जून 1846 को किया था. जीइएल चर्च कब्रिस्तान में मार्था की कब्र पर विशेष आराधना हुई. आराधना का संचालन रेव्ह अनूप जॉली भेंगरा ने किया. जबकि उपदेश बिशप सीमांत तिर्की ने दिया. उपदेश में बिशप सीमांत तिर्की ने कहा कि हम मार्था के बपतिस्मा के दिन को बाल दिवस के रूप में मना रहे हैं. मार्था अनाथ बच्ची थी. हमें इस दिन बच्चों और खासकर अनाथ बच्चों के बारे में सोचना है. हम सिर्फ विनती प्रार्थना ही नहीं बल्कि यह भी सोचे कि बच्चों के लिए हम और क्या कर सकते हैं. कलीसिया, मंडली और व्यक्तिगत रूप से भी हमें बच्चों के लिए काम करने की जरूरत है. यीशु मसीह ने भी कहा है कि यदि तुम बच्चों को ग्रहण करते हो तो मुझे ग्रहण करते हो. इस अवसर पर रेव्ह अनूप जॉली भेंगरा ने आज के दिन का इतिहास बताया. उन्होंने कहा कि 25 जून 1530 को ओग्सबर्ग की धर्मसभा में लूथरन विश्वास (कोनफेसियो औगुस्ताना) को अंगीकृत किया गया था. यह संयोग है कि 25 जून 1846 को मार्था का बपतिस्मा भी हुआ. मार्था के बपतिस्मा के अगले दिन 26 जून 1846 को थॉमस, मेरी, जैकब, मैथ्यू और मारकुस नामक बच्चों का बपतिस्मा हुआ. उसी साल अगस्त को एक जर्मन बच्चा जोहनेस बेनहार्ड अनसोरगे का भी बपतिस्मा हुआ.मार्था किंडरगार्टन की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई :
जीइएल चर्च ने मार्था के नाम पर ही मार्था किंडरगार्टन की शुरुआत 15 अक्तूबर 2011 को की. अभी सिमडेगा के खूंटीटोली, चाइबासा और गोविंदपुर में भी किंडरगार्टन चल रहे हैं. किंडरगार्टन की शुरुआत फादर गोस्सनर की ही सोच थी. वह चाहते थे कि कामकाजी माता-पिता के बच्चों के लिए एक ऐसी जगह हो जहां वह समय बिता सके. आज कार्यक्रम में रेव्ह निरल बागे, अटल खेस, रेव्ह जॉर्ज, रेव्ह अमित लकड़ा, रेव्ह ममता बिलुंग, डॉ एसरेन भेंगरा सहित अन्य लोग उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है