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Ranchi News: 116 करोड़ में बनना था नीलांबर-पीतांबर विवि, 162 करोड़ लग गये, पर पीने का पानी नहीं और दीमक चाट रहा भवन

नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (एनपीयू) के निर्माण कार्य में भारी अनियमितता बरती गयी है. शिक्षा के मंदिर निर्माण में ही घोटाला किया गया है.

रांची. नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय (एनपीयू) के निर्माण कार्य में भारी अनियमितता बरती गयी है. शिक्षा के मंदिर के निर्माण में ही घोटाला किया गया है. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद जांच करायी. राजभवन के अधिकारियों और पलामू से जुड़े अभियंताओं की समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी. जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बातें सामने आयी हैं. राज्यपाल के आदेश के बाद वित्त विभाग अब निर्माण कार्य में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर स्पेशल ऑडिट कर रहा है. विवि के प्रशासनिक और एकेडमिक भवन का निर्माण झारखंड राज्य भवन निर्माण निगम की देखरेख में पूरा किया गया है.

विवि के निर्माण कार्य की लागत 162

करोड़

तक पहुंच गयी

पहले विभाग ने 122 करोड़ रुपये की संभावित लागत तय की. निविदा के बाद कोलकाता की कंपनी छाबड़ा एंड जेके इंजीनियरिंग को 116 करोड़ की लागत पर निर्माण कार्य दो वर्ष में पूरा करने का जिम्मा मिला. वर्ष 2018 में विभाग के साथ एकरारनामा किया गया. निर्माण कार्य के दौरान ही लागत में 40% की वृद्धि कर दी गयी. विवि के निर्माण कार्य की लागत 162 करोड़ तक पहुंच गयी. लेकिन इतना खर्च होने पर भी घटिया काम का अब यह विवि नमूना बन गया है. राज्यपाल के निर्देश के बाद हुई जांच में इसका अब खुलासा हो पाया है.

कोई भी निर्माण कार्य तरीके से नहीं किया

विश्वविद्यालय में पेयजल तक की व्यवस्था सही तरीके से नहीं की गयी. खिड़की-दरवाजे भी तय मापदंड में नहीं लगाये गये. निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ. कागज पर बताया गया कि एकेडमेिक परिसर में दो बोरिंग और एक समरसेबल पंप लगाया गया है. लेकिन जांच समिति ने पाया कि पूरे परिसर में एक भी बोरिंग नहीं है. इस मामले में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने राज्यपाल को शिकायत पत्र दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने जांच का आदेश दिया था.

राज्यपाल ने दिया है कार्रवाई का निर्देश

जांच रिपोर्ट आने पर राज्यपाल ने विवि के नये भवन के घटिया निर्माण से जुड़ी कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. निर्माण कार्य से जुड़े विभागीय अभियंताओं पर भी कार्रवाई करने को कहा गया है. इस कार्य से जुड़े विवि के अधिकारियों पर भी कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. राज्यपाल के आदेश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सीसीडीसी केसी झा को हटाया. रजिस्ट्रार पर भी कार्रवाई का आदेश विवि प्रशासन ने दिया है.

2025 में अभियंता की गलत रिपोर्ट के बाद हुआ हैंडओवर

जांच के क्रम में पाया गया कि प्रशासनिक भवन को 2022 में और एकेडमिक बिल्डिंग को जनवरी 2025 में हैंडओवर किया गया. निगम के कार्यपालक अभियंता ने गलत रिपोर्ट दी. इसके आधार पर हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी की गयी थी. हैंडओवर के दौरान विवि के अधिकारियों ने भी निर्माण में हुई गड़बड़ी को नजरअंदाज किया.

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