डकरा. एनके एरिया में विभिन्न श्रमिक संगठनों में सक्रिय सीसीएल कर्मी श्रमिक नेता और गैर सीसीएलकर्मी श्रमिक नेताओं के बीच बढ़ते विवाद के कारण कई श्रमिक संगठन के भीतर अंतर्कलह चरम पर पहुंच गया है. शुरुआत में यह विवाद सिर्फ नेताओं के बीच था, लेकिन अब कर्मचारी और मजदूरों के बीच भी इसका असर दिखाई देने लगा है. नौ जुलाई को आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल में गैर सीसीएल कर्मी श्रमिक नेता काफी सक्रिय थे. वैसे कर्मी जो हड़ताल में अपनी हाजिरी कटवा कर और आर्थिक नुकसान उठा कर आंदोलन को समर्थन दिया, वे सभी किसी न किसी यूनियन के बड़े पदाधिकारी थे, लेकिन जो सिर्फ किसी यूनियन का सदस्य हैं ऐसे लोगों ने हाजिरी बना कर ड्यूटी की है, उसको लेकर एक वर्ग सोशल मीडिया पर उनको ट्रोल करने में लगा हुआ है. इस मामले को लेकर दोनों वर्गों के भीतर जो असंतोष सुलग रहा था, वह पिछले सप्ताह हुई एनके एरिया सलाहकार समिति की बैठक के बाद भड़क गया है. जानकारी के अनुसार एक गैर कर्मी नेता ने क्षेत्र के सभी कर्मचारियों का सामूहिक तबादला करने की मांग को उठाया. बैठक में एकमात्र कर्मी नेता सुनील कुमार सिंह मौजूद थे. दूसरे प्रतिनिधि पिंकू सिंह उस बैठक में नहीं थे और गैर कर्मी नेता बहुमत में थे, जिसमें विनय सिंह मानकी, प्रेम कुमार, शैलेश कुमार और डीपी सिंह मौजूद थे. प्रबंधन भी बहुमत का सम्मान करते हुए उस मुद्दे पर कुछ देर चर्चा की, लेकिन कोई निर्णय नहीं हुआ. इसकी जानकारी बैठक के बाद बाहर आग की तरह फैली. अब सीसीएल कर्मी इस मामले को लेकर गोलबंद होने लगे हैं. ऐसे लोगों का कहना है कि सभी यूनियन में हमलोग अपना पैसा देकर सदस्य बनते हैं और संगठन गैर कर्मी को पदाधिकारी बना कर हमलोगों का ही शोषण कराती है. संगठन ने इस परिपाटी को नहीं बदला, तो संगठन से सामूहिक त्याग-पत्र देकर उन्हें सबक सिखाया जायेगा.
गैर कर्मी नेता निर्णायक पद पर हैं
सीसीएल में सक्रिय और मान्यता प्राप्त लगभग सभी यूनियन में गैर कर्मी नेता ही निर्णायक पद पर हैं. एनके एरिया में छह यूनियन औद्योगिक संबंध में शामिल हैं, जिसमें सलाहकार समिति में शामिल चार सदस्य गैर कर्मी है और दो सीसीएल कर्मी हैं. दो दिन पहले जनता मजदूर संघ ने अपना सदस्य को बदल कर सीसीएल कर्मी को सदस्य बनाया है, इस हिसाब से भी अब दोनों पक्ष के तीन-तीन हो गये हैं.बीएमएस की व्यवस्था अलग है
बीएमएस से संबद्ध सीसीएल कोलियरी कर्मचारी संघ हमेशा सलाहकार समिति सदस्य या सचिव सीसीएल कर्मी को ही बनाते हैं. इसके अलावा किसी भी संगठन में ऐसी पारदर्शी व्यवस्था नहीं है.
नया आइआर कोड के पक्ष में हैं कोयलाकर्मी
भारत सरकार के नया आइआर कोड में अब मजदूर ही अपना प्रतिनिधि चुनेंगे, जो कंपनी के विभिन्न समिति के सदस्य होंगे. यही नहीं 20% सदस्यों वाले संगठन को ही मान्यता प्राप्त होगी और किसी संगठन ने सदस्यों की संख्या कुल मैन पावर का 50% कर लिया, तो वह सिंगल मान्यता प्राप्त संगठन हो जायेगा. नाराज लोग बताते हैं कि वर्तमान व्यवस्था में संगठन हमलोगों के ऊपर ऐसा नेता थोप दे रहे हैं, जिन्हें हमारे हक अधिकार से ज्यादा चिंता अपनी ठेकेदारी और धंधे की रहती है. सिंगरैनी के कोयला क्षेत्र में यह लागू कर दिया गया है.श्रमिक नेताओं के बीच बढ़ते विवाद के कारण संगठनों के भीतर अंतर्कलह चरम पर
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है