रांची. छह करोड़ रुपये की लागत से डिस्टिलरी पुल के पास तैयार सब्जी मार्केट अब उपेक्षा और अव्यवस्था का प्रतीक बन गया है. नगर निगम ने इसे लालपुर मार्केट के पुराने दुकानदारों को व्यवस्थित करने के उद्देश्य से बनवाया था, लेकिन विडंबना यह है कि ज्यादातर पुराने विक्रेताओं को आज भी वहां जगह नहीं मिल पायी है. मजबूरी में वे अब भी नाले के किनारे सब्जी बेचने को मजबूर हैं—जहां न सुविधा है, न सम्मान.
सुविधाओं का टोटा, आश्वासन अधूरा
यहां सब्जी बेचने वाली महिलाओं का कहना है कि मंडी के भीतर उन्हें अब तक जगह नहीं दी गयी है. जबकि नगर निगम पिछले एक साल से हमें केवल आश्वासन दे रहा है. 300 से अधिक दुकानें यहां होने के बाद भी कोई शौचालय नहीं है. पेयजल व पार्किंग की सुविधा नहीं है. जिस जगह पर पहले शौचालय निर्माण की योजना थी, वहां अब सुधा डेयरी खोल दी गयी है. दुकानदारों ने कहा कि वे जब यहां शिफ्ट हुए थे तो हमें कहा गया था कि यहां सार्वजनिक शौचालय बनेगा, लेकिन निर्माण पूरा होने के बाद डेयरी खोल दी गयी.40 साल से लगा रही हूं दुकान
लालपुर सब्जी मंडी की अध्यक्ष प्रभा देवी पिछले 40 साल से यहां सड़क किनारे दुकान लगा रही हैं. वे कहती हैं कि जब मार्केट बन रहा था तो उम्मीद थी कि मार्केट में दुकान मिलेगी. लेकिन नहीं मिली. यह काफी दुखद है. अधिकतर पुराने और महिला विक्रेताओं को मार्केट में दुकान नहीं मिली. नतीजा, नाले के किनारे बैठकर सब्जी बेचने को मजबूर हूं. चमेली देवी पिछले 25–30 सालों से लालपुर मंडी में सब्जी बेच रही हैं. वह विराज नगर से आती हैं. उन्हें भी मार्केट के अंदर दुकानें नहीं मिली हैं. चमेली कहती हैं कि नये दुकानदारों को दुकानें मिल गयी हैं, जबकि हमें नहीं मिली. नतीजा, आज भी नाले के किनारे ही दुकानें लगाते हैं. नगर निगम से हमारा बस एक ही आग्रह है कि जब इतना बड़ा मार्केट बनाया तो कम से कम यहां शौचालय व पेयजल की व्यवस्था बहाल होनी चाहिये थी. शौचालय के नहीं होने के कारण हमें बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है