रांची. झारखंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (जेयूटी) के गठन के सात वर्ष बाद भी शासी निकाय का पूर्ण गठन नहीं हो सका है. जिस कारण एक भी बैठक नहीं हो सकी है. विवि अधिनियम की धारा 16 में विहित प्रावधानों के अनुसार शासी निकाय का गठन होना है, जिसके अध्यक्ष कुलाधिपति होते हैं और कुलपति सदस्य सचिव के रूप में रहते हैं. शासी निकाय विवि के विकास के लिए नीति निर्धारण करने और कार्ययोजना तैयार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्राधिकार होता है, लेकिन शासी निकाय के संचालन के लिए विभाग से अब तक नियमावली भी नहीं दी गयी है.
वित्त समिति का भी पूर्णकालिक गठन
नहीं
इसी प्रकार विवि में वित्त समिति का भी पूर्णकालिक गठन नहीं हुआ है. इतना ही नहीं विवि में परीक्षा संचालन नियमावली भी राज्यपाल सचिवालय से अब तक अधिसूचित नहीं की गयी है. पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी विवि में नियुक्ति नियमावली अधिसूचित नहीं हो सकी है. जिस कारण कुलपति पद को छोड़कर शेष सभी 91 पदों पर सीधी नियुक्ति नहीं हो पा रही है. सृजित पदों पर नियुक्ति के लिए रोस्टर भी बनाया जाना बाकी है. विवि की हालत यह है कि यहां कुल पांच पीजी विभाग हैं, लेकिन शैक्षणिक वर्ष 2020 से घंटी आधारित शिक्षकों के भरोसे तीन पीजी विभाग का संचालन हो रहा है. शेष दो विभाग बंद हैं. जबकि करोड़ों रुपये के भवन के कई हिस्से खाली पड़े हैं. विवि में प्रतिनियुक्त कई अधिकारियों का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है. राज्यपाल द्वारा कुलसचिव के पद पर बीएसएनएल के एक अधिकारी की प्रतिनयुक्ति भी की गयी, लेकिन वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्होंने योगदान नहीं किया.
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