24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

News of ranchi Pahadi Mandir : पहाड़ी मंदिर संकट में, नींव हिला रहे चूहे

रांची पहाड़ी और उस पर स्थित शिवालय पर ध्यान देने की जरूरत है. यह पहाड़ी अब किसी भी तरह के नये निर्माणकार्य को बर्दाश्त नहीं कर पायेगी.

राजेश तिवारी. रांची पहाड़ी और उस पर स्थित आस्था के प्रमुख केंद्र पहाड़ी मंदिर(शिवालय) पर ध्यान देने की जरूरत है. यह पहाड़ी अब किसी भी तरह के नये निर्माणकार्य को बर्दाश्त नहीं कर पायेगी. ये हम नहीं, बल्कि सरकार की ओर से गठित उस तकनीकी दल ने कहा है, जो कुछ दिन पहले रांची पहाड़ी और उस स्थापित महादेव के मंदिर की भौतिक जांच करने पहुंची थी. नाम नहीं छापने की शर्त पर तकनीकी दल के एक सदस्य ने बताया कि रांची पहाड़ी संकट में है. उनके दल ने मौका-मुआयना करने के बाद यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब पहाड़ी और इस पर स्थित मंदिर में निर्माण से संबंधित कोई गतिविधि नहीं होनी चाहिए. क्योंकि, पहाड़ी की मिट्टी ढीली हो गयी है. दल के सदस्य ने बताया कि फिलहाल वस्तुस्थिति का अध्ययन किया जा रहा है. टीम छह माह में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देगी.

मंदिर के नीचे चूहों ने बना रखी है सुरंग

इधर, पहाड़ी मंदिर इन दिनों नयी समस्या से जूझ रहा है. यहां दिन-ब-दिन चूहों की तादाद बढ़ रही है, जो मंदिर की दीवारों, फर्श और नींव में सुरंगें बनाकर इसे अंदर से खोखला कर रहे हैं. चूहों ने मंदिर परिसर में लगे पेड़ों की जड़ों को भी खोखला कर दिया है. समय रहते उपाय नहीं किया गया, तो मंदिर को भारी नुकसान हो सकता है. सुरंग की वजह से मंदिर परिसर में कई जगहों पर फर्श धंस गयी है. जिस जगह जमीन खोखली हो गयी है, उसे टाइल्स के जरिये ढंकने की कोशिश की जा रही है.

अब तक पूरा नहीं हुआ गार्डवॉल बनाने का काम

पहाड़ी की मिट्टी को गिरने से रोकने के लिए गार्डवॉल का निर्माण कार्य किया जा रहा था, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है. इस कारण बारिश के दिनों में पाहड़ी के ऊपर से मिट्टी का कटाव होता है और वह मिट्टी धीरे-धीरे नीचे आ जा रही है. इससे पहाड़ी और इस पर लगे पेड़-पौधों को नुकसान हो रहा है. इससे आसपास की आबादी भी खतरे में है.

करीब 27 एकड़ में है पहाड़ी, 10 एकड़ पर अतिक्रमण

पूरा पहाड़ी मंदिर 26 एकड़ 13 कड़ी में फैला हुआ है, पर चहारदीवारी 22 एकड़ तक ही हो पाया है. इस पर रह-रह कर सवाल उठते रहे हैं. बताया गया कि कई सालों से यही स्थिति है. वहीं, पहाड़ी के लगभग 10 एकड़ पर अतिक्रमण किया हुआ है. कई बार इसे खाली कराने का प्रयास किया गया, लेकिन अब तक खाली नहीं कराया जा सका.

सौंदर्यीकरण के नाम पर पहाड़ी की सेहत से खिलवाड़

पहाड़ी मंदिर के सौंदर्यीकरण के नाम पर 10 वर्षों में करोड़ों खर्च हुए. 2016 में मुख्य मंदिर के ठीक नीचे बने यात्री शेड को तोड़ दिया गया. इससे मुख्य मंदिर की नींव कमजोर हो गयी. दीवार के नीचे की मिट्टी बह रही है. इसके बाद नये निर्माण के लिए जगह-जगह पिलर खड़े किये गये़ सौंदर्यीकरण तो हुआ नहीं, उल्टे पहाड़ी की सूरत बिगड़ती चली गयी.

आरसीसी गार्डवाल के नीचे से हो रहा मिट्टी का कटाव

पश्चिम की तरफ से भी पहाड़ी पर पेड़ को काट कर रास्ता बनाया गया है. यह काम भी अधूरा है. आरसीसी गार्डवॉल बनाने के नाम पर पहाड़ी को क्षतिग्रस्त किया और पेड़ काटे गये. गार्डवॉल 2013 से ही खाली है. अब पहाड़ी नंगी हो चुकी है. वहीं, आरसीसी गार्डवॉल भी काफी जमीन छोड़ कर बनायी गयी है. उसके नीचे मिट्टी नहीं भरी गयी है, जिससे मिट्टी का लगातार कटाव हो रहा है.

पौधारोपण भी केवल औपचारिकता रह गयी है

पहाड़ी के बचाव के लिए कई संस्थाओं द्वारा पौधारोपण भी किया गया लेकिन वो केवल औपचारिक मात्र ही रह गया है. पहाड़ी मंदिर में सैकड़ों पौधे सूख गये. कई पौधे तो प्लास्टिक में जस के तस रखे हुए हैं, उसे केवल गड्ढा खोदकर रख दिया गया है.

सौंदर्यीकरण के नाम पर केवल सीढ़ियां ही बनती रहीं

पहाड़ी मंदिर में सौंदर्यीकरण के नाम पर केवल सीढ़ियां ही दुरुस्त होती चली आयी है. अब तक पांच बार सीढ़ियां दुरुस्त की गयी हैं. सबसे पहले वर्ष 1947 में स्व सागरमल चौधरी व शीशा महाराज ने मिलकर मंदिर की सीढ़ियां बनायी थीं. सागरमल ने 5000 और शीश महाराज ने 120 रुपये दिये थे. वर्ष 1985 में स्व जगदीश मुरारका व जूलि चंद मित्तल ने पुरानी सीढ़ी को तोड़कर पत्थर की सीढ़ी बनवाया. वर्ष 1992 में पहाड़ी मंदिर विकास समिति ने स्थापना काल से ही बनाना शुरू किया और 1995 में निर्माणकार्य पूरा किया. वर्ष 2003 में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में सीढ़ियों में टाइल्स लगाया गया, जिसकी लागत 78 लाख थी. वर्ष 2025 में करोड़ों की लागत से सीढ़ियों को तोड़कर अब लाल पत्थर लगाया जा रहा है. निर्माणकार्य का काम अंतिम चरण में है.

खतरनाक हो सकता है रांची पहाड़ी से छेड़छाड़ करना

रांची विवि के भू-विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने कहा है कि रांची पहाड़ी से छेड़छाड़ करना काफी खतरनाक हो सकता है. ये करोड़ों साल पुरानी खोंडालाइट पहाड़ है. पहले पहाड़ी बहुत ऊंची थी़ बाद में यह अपरदित होती चली गयी, जिससे इसकी ऊंचाई कम हो गयी है. ज्यादा निर्माणकार्य भू-धंसान की ओर ले जायेगा. इसलिए सरकार को इसमें किसी प्रकार के निर्माणकार्य से बचना चाहिए. पहाड़ी पर लगातार शोध हो रहे हैं. इसे बचाकर और हैरिटेज बनाकर रखना चाहिए, ताकि आनेवाली पीढ़ियां इसके इतिहास को जान सकें.

सुबह मंदिर के बाहर रहती है चूहों की भरमार

पहाड़ी मंदिर के पुजारी कबीर बाबा बताते हैं कि सुबह में मंदिर के बाहर चूहों की भरमार रहती है. चूहों द्वारा सुरंग बनाये जाने की वजह से नाग द्वार पर भी मिट्टी गिर रही है. कई जगहों पर पुराने कबाड़ समान रखे गये हैं, जहां चूहों ने अपना ठिकाना बना लिया है और जगह-जगह जमीन की मिट्टी निकाल कर जमा कर दे रहे हैं. ये सुरंगें मंदिर के अंदर तक पहुंच चुकी हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel