51 कलश औषधीय जल से होगा विग्रहों का स्नान, 15 दिनों के लिए महाप्रभु रहेंगे एकांतवास
रांची. ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में बुधवार को परंपरागत देव स्नान यात्रा उत्सव का आयोजन श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ किया जायेगा. यह आयोजन दिन के एक बजे से शुरू होगा. मंदिर प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. मंदिर के पुजारियों के अनुसार दिन की प्रारंभिक पूजा-अर्चना के बाद दोपहर 12 बजे भगवान को भोग अर्पण किया जायेगा. मंदिर के पट बंद कर दिये जायेंगे. इसके बाद महाप्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को गर्भगृह से शोभायात्रा के रूप में स्नान मंडप में लाया जायेगा. तीनों विग्रहों का स्नान 51-51 मिट्टी के कलशों में संग्रहित औषधीय जल से किया जायेगा. सबसे पहले बलभद्र स्वामी, फिर बहन सुभद्रा और अंत में महाप्रभु जगन्नाथ को स्नान कराया जायेगा. यह पवित्र कर्म पुजारी रामेश्वर पाढ़ी, सरयू नाथ मिश्रा, कौस्तुभधर नाथ मिश्रा और श्रीराम मोहंती की ओर से संपन्न कराया जायेगा. इस अनुष्ठान के जजमान मंदिर के प्रथम सेवक सेवायत ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव होंगे. स्नान के बाद महाप्रभु को भोग लगाया जायेगा और 108 दीपों से भव्य आरती की जायेगी. इस अवसर पर श्रद्धालु भी अपने घर से लाये गंगाजल से प्रभु का अभिषेक करेंगे.15 दिनों के एकांतवास में रहेंगे महाप्रभु
स्नान के बाद महाप्रभु को परंपरानुसार गरुड़ मंदिर में 15 दिनों के लिए एकांतवास में रखा जायेगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार स्नान के बाद महाप्रभु अस्वस्थ हो जाते हैं और इस दौरान वैद्य इलाज करते हैं. इन दिनों में कलाकार महाप्रभु को नया स्वरूप प्रदान करते हैं.
26 जून को नेत्रदान महोत्सव, 27 को रथ यात्रा
15 दिनों के बाद 26 जून को नेत्रदान महोत्सव के अवसर पर महाप्रभु शाम चार बजे के बाद भक्तों को दर्शन देंगे. इसके अगले दिन 27 जून को रथ यात्रा निकाली जायेगी. इसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेंगे. वहीं, छह जुलाई को घूरती रथ यात्रा का आयोजन होगा.
अक्षय तृतीया से होती है रथ निर्माण की शुरुआत
रथ यात्रा की तैयारी की शुरुआत हर वर्ष अक्षय तृतीया से की जाती है. इसी दिन से रथ निर्माण का शुभारंभ होता है. इस वर्ष भी पुरी से आए 11 कारीगरों की टीम, दशरथ महाराणा के नेतृत्व में और स्थानीय कारीगर महावीर लोहार की टीम द्वारा रथ निर्माण कार्य किया जा रहा है. जल्द ही रथ पर रंग-रोगन का कार्य आरंभ होगा, जिसे 26 जून तक पूरा कर लिया जायेगा.
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