झारखंड के युवा उद्यमी… देश-विदेश के ग्राहकों तक पहुंचा रहे अपने उत्पाद
झारखंड के युवा उद्यमी बदल रहे राज्य की तस्वीर, परंपरा और तकनीक को बना रहे स्वरोजगार का माध्यम
कुखना, पड़िया, बिरू जैसे पारंपरिक पैटर्न और सोहराई पेंटिंग को फैशन डिजाइन में किया जा रहा शामिल
रांची. झारखंड के युवा आज न केवल अपने सपनों को साकार कर रहे हैं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक विरासत और परंपरागत कारीगरी को आधुनिक तकनीक से जोड़कर वैश्विक पहचान भी दिला रहे हैं. पारंपरिक वस्त्रकला हो या फूड स्टार्टअप, डिजिटल ब्रांडिंग हो या मेटल टेस्टिंग जैसी तकनीकी सेवाएं राज्य के उद्यमी हर क्षेत्र में अपनी खास पहचान बना रहे हैं. कम संसाधनों से शुरू हुए इन स्टार्टअप्स की पहुंच अब देश-विदेश तक है. 50 से 80 प्रतिशत तक नियमित ग्राहक इनकी गुणवत्ता और नवाचार का प्रमाण हैं. कई ऐेसे भी एंटरप्रेन्योर्स हैं, जिनके उत्पाद विदेशों से भी मंगाये जाते हैं. राज्य के युवा उद्यमी, जो पारंपरिक कारीगरी और आधुनिक तकनीक का मेल कर एक नया उद्यमिक परिदृश्य रच रहे हैं.
पारंपरिक परिधान को मिल रही नयी पहचान
झारखंड की विविध जनजातीय परंपराएं और वस्त्रकला सदियों से समृद्ध रही हैं. अब युवा उद्यमी इन्हें आधुनिक डिजाइन और डिजिटल मार्केटिंग के जरिए देश-विदेश के बाजारों तक पहुंचा रहे हैं. राज्य के कई युवा टेक्सटाइल स्टार्टअप्स की शुरुआत कर चुके हैं. झारखंड के युवा उद्यमी आज केवल स्वरोजगार नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी भी लिख रहे हैं. पारंपरा, तकनीक और नवाचार के इस समन्वय से झारखंड एक नये उद्यमिक युग की ओर बढ़ रहा है.
पारंपरिक स्वाद को नया व्यवसायिक स्वरूप
झारखंड के खान-पान की परंपरा भी युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा बन रही है. झारखंड के विभिन्न समुदायों के भोजन में प्राकृतिक और पोषक तत्वों से भरपूर सामग्री जैसे मडुआ, सोंधी, कुलथी दाल, कड़वा तेल, बांस के अंकुर जैसे पौष्टिक तत्वों से भरपूर पारंपरिक व्यंजनों को फूड स्टार्टअप्स, कैफे और होम डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के जरिए बाजार में उतारा जा रहा है. इससे न केवल राज्य की पाक विरासत को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नये रास्ते भी खुल रहे हैं. इन पारंपरिक व्यंजनों को अब युवा उद्यमी फूड स्टार्टअप्स, कैफे, होम डिलीवरी और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स के माध्यम से बाजार तक पहुंचा रहे हैं.जोहारग्राम : तीन हजार से ज्यादा नियमित ग्राहक
जोहारग्राम की शुरुआत वर्ष 2020 में पवन कुमार बाड़ा और आशीष सत्यव्रत साहू ने की थी. पारंपरिक जनजातीय वस्त्रों को मॉडर्न डिजाइन में ढालकर आज की पीढ़ी के अनुरूप बनाया जा रहा है. देश-विदेश से मांग के साथ तीन हजार से अधिक ग्राहक बन चुके हैं, जिनमें 50% नियमित ग्राहक हैं. ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्मय से अपने प्रोडक्ट लोगों तक पहुंचा रहे हैं.ट्राइब ट्री : एक हजार से ज्यादा डिजा़इन किये तैयार
ट्राइब ट्री, जिसकी नींव सुमंगल नाग और दीप्ति उरांव ने रखी, दस वर्षों से आदिवासी बुनायी और कला को नये रूप में प्रस्तुत कर रहा है. इसके तहत आदिवासी कला और बुनाई को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है. कुखना, पड़िया, बिरू जैसे पैटर्न को आधुनिक रूप देकर प्रस्तुत कर रहे हैं. वे वेडिंग वेयर, डेली वेयर के साथ-साथ विभिन्न मौसम के हिसाब से कपड़े डिजाइन करते हैं. सोहराई पेंटिंग जैसे कला को कपड़ों में उतार रहे हैं. अब तक 1000 से ज्यादा डिजाइन तैयार कर चुके हैं. इसकी मांग देश के विभिन्न राज्यों में है. विभिन्न फैशन शो में भी उनके कपड़े को प्रस्तुत किया जाता है.राहुल टोप्पो डिजाइन स्टूडियो : देश-विदेश में प्रस्तुति
राहुल टोप्पो डिजाइन स्टूडियो की शुरुआत राहुल टोप्पो ने वर्ष 2020 में की थी. राहुल ने बताया कि कॉलेज में पढ़ाई के समय ही उन्होंने सोचा था कि भारतीय क्राफ्ट को बढ़ावा देने का काम करेंगे. हैंडमेड डिजाइन तैयार कर रहे हैं. इसमें झारखंड के विभिन्न फैब्रिक के इस्तेमाल से वेडिंग डिजाइन तैयार करते हैं. इसकी मांग देश के विभिन्न राज्यों से की जाता है. एक हजार से ज्यादा कस्टमर बना चुके हैं, इसमें 80 प्रतिशत नियमित ग्राहक भी है. इनके कलेक्शन को देश-विदेश के बड़े एग्जिबिशन में भी प्रस्तुत किया गया है.एएसआर मेटलर्जी : तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में भी झारखंड आगे
रांची के असीम कंडुलना ने जमशेदपुर में वर्ष 2020 में एएसआर मेटलर्जी की शुरुआत की. इसके माध्यम से मटेरियल टेस्टिंग का काम करते हैं. अब तक 500 से ज्यादा छोटे-बड़े कंपनियों को अपना सर्विस दे चुके हैं. इनके लैब में 350 से ज्यादा टेस्ट का ऑप्शन देते हैं. इसमें आयरन, एल्युमिनीयम आदि से संबंधित विभिन्न मेटेरियल्स का टेस्टिंग किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस प्रकार का लैब नहीं था, उन्होंने सोचा कि एक ऐसा लैब बनाया जाये, जहां लोगों को कम खर्च और कम समय में बेहतर सुविधा मिल सके. सालाना लगभग तीन करोड़ का टर्नओवर है.नेम्हा डेकोर : कला और सजावट के माध्यम से पहचान
नेम्हा डेकोर की शुरुआत मृणाल कुजूर ने वर्ष 2023 में की थी. इसके माध्यम से ट्राइबल डेकोरेटिव आइटम्स तैयार कर रहे हैं. इसमें स्थानीय कला, संस्कृति की झलक दिखती है. इसमें वे वॉल डेकोर के विभिन्न उत्पाद बना रहे हैं. इसके साथ ही की चेन, की रिंग, की हैंगर, कार चार्म्स आदि तैयार करते हैं हुए अपनी कला, संस्कृति, परंपरा को अपने उत्पाद के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं. अब तक 500 से ज्यादा कस्टमर बना चुके हैं. ऑनलाइन माध्यम से अपने उत्पाद को लोगों तक पहुंचाते हैं.द ओपन फील्ड : इकोटूरिज्म और वनोपज को दे रहे बढ़ावा
द ओपन फील्ड की शुरुआत कुमार अभिषेक उरांव और डॉक्टर मनीष उरांव ने की थी. इसके माध्यम से इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां के लोग ग्रामीण परिवेश को इंज्वॉय करते हैं. इनके यहां अब तक दस हजार से ज्यादा लोग आ चुके हैं, जिसमें लगभग 40 प्रतिशत नियमित ग्राहक हैं. साथ ही वनोपज की प्रोसेसिंग और मार्केट लिंक पर काम कर रहे हैं. इसमें महुआ, चिरौंजी, कटहल, इमली की प्रोसेसिंग पर काम कर रहे हैं. उनके द्वारा सोलर डिहाइड्रेटर तैयार किया गया है, जिसके माध्यम से इनको सूखा कर मार्केट में भेजते हैं. अब तक पांच कंपनियों को प्रोडक्ट मुहैया करा रहे हैं. उनके साथ लगभग ढाई सौ किसान जुड़े हुए हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है