गरुड़ मंदिर में 15 दिनों के एकांतवास में गये महाप्रभु
रांची. ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा पर रांची स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में पारंपरिक देव स्नान यात्रा उत्सव श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुआ. धार्मिक उत्सव में भाग लेने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ पड़ी. अनुष्ठान की शुरुआत दोपहर एक बजे से हुई, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के विग्रहों को गर्भगृह से निकालकर स्नान मंडप में लाया गया. इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के बीच तीनों विग्रहों का औषधीय जल से स्नान कराया गया. इसके लिए 51-51 मिट्टी के कलशों में विशेष जल संग्रहित किया गया था. स्नान का यह पावन क्रम दो घंटे से अधिक समय तक चला. पूजन और स्नान कार्य सेवायत ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव की अध्यक्षता में संपन्न हुआ. प्रमुख पुजारियों में रामेश्वर पाढ़ी, कौस्तुभधर नाथ मिश्रा, श्रीराम मोहंती, अश्विनी नाथ मिश्रा, विपिन उपाध्याय सहित अन्य विद्वान आचार्यों ने विधिवत अनुष्ठान का संचालन किया. इस अवसर पर मंदिर सचिव मिथिलेश कुमार, आइजी मनोज कौशिक, कांग्रेस नेता आलोक दुबे, मुकेश कुमार सहित कई गणमान्य श्रद्धालु उपस्थित रहे.15 दिनों तक भगवान को काढ़ा का लगेगा भोग
स्नान के उपरांत मान्यता अनुसार महाप्रभु को अस्वस्थ मानते हुए उन्हें गरुड़ मंदिर में 15 दिनों के एकांतवास में ले जाया गया. इस अवधि में प्रभु को आम दर्शन से वंचित रखा जायेगा. वैद्यों द्वारा उपचार और कलाकारों द्वारा नवस्वरूप निर्माण की प्रक्रिया यहीं चलेगी. इसे अनवसर काल कहा जाता है. भगवान जगन्नाथ को हर साल एक बार स्नान कराया जाता है. स्नान के बाद 15 दिन के लिए भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं. तब यहां की रसोई भी बंद कर दी जाती है. भगवान को 56 भोग भी नहीं खिलाया जाता. उसकी जगह काढ़ा का भोग लगाया जाता है. साथ ही भगवान को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का भी भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान जगन्नाथ की बीमारी की जांच करने के लिए रोजाना वैद्य भी आते हैं.महाप्रभु के स्वस्थ होने पर होगा नेत्र उत्सव
15 दिनों के बाद 26 जून को नेत्रदान उत्सव मनाया जायेगा. इस दिन शाम चार बजे के बाद से यह उत्सव शुरू होगा. इसके बाद भगवान के जयकारों के बीच पट खोली जायेगी. विभिन्न पाठ और आरती की जायेगी. इसके बाद से आम भक्त भगवान की पूजा-अर्चना करेंगे. इस दिन से लेकर अगले दिन 27 जून की दोपहर तक उनकी वहीं पर पूजा-अर्चना होगी और उसके बाद प्रभु के सभी विग्रहों को बारी-बारी से रथारुढ़ किया जायेगा. विष्णुलक्षार्चना के बाद सभी पुष्पों को भगवान को अर्पित किया जायेगा. शाम साढ़े चार बजे के बाद रथ यात्रा शुरू होगी. इसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होंगे. इस दिन मुख्यमंत्री रथ को रवाना करने के लिए आयेंगे. वहीं, छह जुलाई को घुरती रथ यात्रा होगी. रथ यात्रा को लेकर रथ को सजाने-संवारने का काम जोर-शोर से चल रहा है. रथ को 26 जून तक तैयार कर लिया जायेगा. इसके बाद अगले दिन 27 को रथ को फूलों से शृंगार किया जायेगा.स्नान पूर्णिमा की झलकियां…
:::: दिन के एक बजे भगवान के सभी विग्रहों को बारी-बारी से स्नान मंडप में लाकर रखा गया. :::: सवा एक बजे स्नान पूर्णिमा की पूजा हुई. मालपुआ, इलाइची दाना व बादाम का भोग लगाया गया.:::: दिन के दो से साढ़े तीन बजे तक श्रद्धालुओं की ओर से महाप्रभु को स्नान कराया गया.
:::: साढ़े तीन बजे के बाद भगवान का शृंगार और मंगल महाआरती की गयी.:::: दिन के 3.45 के बाद विष्णु अष्टकम, जगन्नाथ अष्टकम और गीता के द्वादश अध्याय का पाठ हुआ.
:::: शाम चार बजे के बाद भगवान को स्नान मंडप से एकांतवास में ले जाया गया.:::: स्नान मंडप में राधा-कृष्ण समेत कई देवी-देवताओं की पूजा की गयी.
:::: अब नियमित रूप से 26 जून की दोपहर तक राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है