बुढ़मू.
मानव व प्रकृति के संबंध को प्रगाढ़ करने व वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए प्रखंड क्षेत्र के कोटारी गांव में सामुदायिक वन पालन अध्ययन केंद्र चलाया जाता है. रैयती जमीन पर संचालित केंद्र में 14 से 18 वर्ष के किशोर व किशोरी प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद से नर्सरी तैयार करते हैं और खाली वनक्षेत्र में पौधरोपण करते हैं. साथ ही गांव में लोगों को वन पर्यावरण को लेकर जागरूक करते हैं. केंद्र के माध्यम से लोगों को वनोपज से होनेवाले आर्थिक, शारीरिक और मानसिक लाभ की जानकारी दी जाती है. साथ ही वनोपज के लिए बाजार खोजते हैं. इस वर्ष सिमडेगा से 40 क्विंटल सखुआ बीज की बिक्री अच्छे मूल्य पर की गयी. केंद्र के केंद्रीय प्रभारी राजेश महतो ने बताया कि कांटाटोली से डंगराटोली रांची मुख्य मार्ग में सिमडेगा भवन में स्थित फिल्ड एंड फॉरेस्ट दुकान में मधु, मड़ुवा आटा, ढेकी कुटल चावल, कई तरह के साग, आर्गेनिक तरीके से तैयार हल्दी सहित अन्य सामग्री उपलब्ध है. इसे ऑनलाइन ऑर्डर लेकर पार्सल दिया जाता है. सीधा कंपनी से संपर्क कर वनोपज के लिए बेहतर मूल्य पर किसानों को बाजार उपलब्ध कराते हैं. महिलाओं व किसानों को जैविक खाद व जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है