रांची (प्रमुख संवाददाता). प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि 2006 में कांग्रेस ने आदिवासियों को जल जंगल और जमीन पर अधिकार सुनिश्चित करने के लिए वन अधिकार अधिनियम लागू किया था. लेकिन केंद्र सरकार की निष्क्रियता के चलते इस कानून के तहत किये गये लाखों वास्तविक दावे बिना किसी समीक्षा के मनमाने ढंग से खारिज कर दिये गये. श्री कमलेश बुधवार को कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बातें कही.
उन्होंने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सभी लोगों को उनकी जमीन से बेदखल करने का आदेश दिया, जिनके दावे खारिज हो चुके थे. लेकिन भारी विरोध के बाद कोर्ट ने रोक लगायी और दावों की गहन समीक्षा का आदेश दिया था. अब फिर से इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में है और मोदी सरकार लापता है. केंद्र सरकार 2019 में भी इस कानून की बचाव नहीं कर सकी थी और आज भी आदिवासी अधिकारों के पक्ष में खड़ी नहीं दिख रही है. आज चिंताजनक परिस्थिति यह है कि दावों की समीक्षा का गंभीर प्रयास आज तक नहीं हुआ, जिससे उच्चतम न्यायालय में फैसला इस कानून के खिलाफ आ सकता है.वक्फ संशोधन विधेयक के कई प्रावधानों के विरोध में है कांग्रेस
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस वक्फ संशोधन विधेयक के कई प्रावधानों के विरोध में है. वक्फ बोर्ड परिषद में दो गैर मुस्लिम को शामिल करना, वक्फ ट्रिब्यूनल के स्थान पर सरकारी अधिकारी को विवाद निपटारे का अधिकार देना, वक्फ न्यायाधिकरणों के आदेशों को उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने से वक्फ से संबंधित विवाद लंबे समय तक चलेंगे और न्याय की आस में लोग भटकते रहेंगे. उन्होंने कहा कि देश की सामाजिक समरसता को विभक्त करने के लिए भाजपा अपने एजेंडे के तहत इस संशोधन विधेयक को लायी है. भाजपा के कुत्सित विचारों का विरोध संवैधानिक ढांचे के अनुरूप कांग्रेस करती रहेगी.धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तोड़ने की साजिश
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने वक्फ बिल को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि नीति चाहे जो भी बनायी जाये, लेकिन उसकी नीयत साफ होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस बिल के जरिये समाज में झगड़ा और फसाद पैदा करना चाहती है. साथ ही बेरोजगारी और महंगाई जैसे गंभीर मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है. सुबोधकांत सहाय ने वक्फ बिल को देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तोड़ने की साजिश करार दिया. कहा कि यह बिल भाजपा के 2014 के बाद से चल रहे एजेंडे का हिस्सा है, जो समाज को विभाजित करने की मंशा से प्रेरित है. प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शाहजादा अनवर ने कहा कि यह बिल केवल एक समुदाय को निशाना बनाने और समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने के लिए लाया गया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को खत्म करना चाहती है. मौके पर मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा, मीडिया चेयरमैन सतीश पॉल मुंजीनी, सोनाल शांति, मंजूर अंसारी, जोसाई मार्डी मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है