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रांची में 4 फरवरी को आदिवासी एकता महारैली, बंधु तिर्की बोले, आदिवासी मुद्दों की नहीं की जा सकती अनदेखी

बंधु तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अधीन के संगठनों द्वारा आदिवासियों को बांटने के लिये जमीन-आसमान एक कर दिया गया है लेकिन उन्हें उनकी चाल में कोई भी सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि आदिवासी बिना किसी मतभेद के एकजुट हैं और उन्हें दुनिया की कोई शक्ति अलग नहीं कर सकती.

रांची: पूर्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों के मुद्दे की अनदेखी कर न तो सत्ता चल सकती है, ना ही सरकार और न ही राजनीति. इसके साथ-साथ उन्हें बांटने वाले किसी भी राजनीतिक दल और संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा. बंधु तिर्की ने कहा कि सरना कोड, पांचवीं अनुसूची आदि के साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में आदिवासियों की उपयोजना राशि (ट्राइबल सब प्लान) में कटौती किया जाना, आदिवासियों के हित के साथ खिलवाड़ है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में 4 फरवरी को आयोजित आदिवासी एकता महारैली की तैयारी को वे शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.

आदिवासी एकजुट हैं

बंधु तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अधीन के संगठनों द्वारा आदिवासियों को बांटने के लिये जमीन-आसमान एक कर दिया गया है लेकिन उन्हें उनकी चाल में कोई भी सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि आदिवासी बिना किसी मतभेद के एकजुट हैं और उन्हें दुनिया की कोई शक्ति अलग नहीं कर सकती. भाजपा एवं केन्द्र के साथ ही जिन-जिन प्रदेशों में भाजपा सत्ता में है वहां आदिवासियों की लगातार अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में गुमला में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने सरना धर्मकोड पर विचार करने की बात कही थी लेकिन उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ.

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महाराष्ट्र व गुजरात के आदिवासी नेता होंगे शामिल

बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड से पलायन कर असम की चाय बागानों में मजदूरी कर रहे आदिवासियों को वहां एमओबीसी अर्थात विस्थापित अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा प्राप्त है जबकि असम में भी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के सभी नेताओं ने आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बात कही थी लेकिन अपने वायदे से मुकरना भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की आदत है. इस महारैली में झारखंड के सभी जिलों के सभी समुदायों के आदिवासियों के साथ ही आदिवासी मुद्दों के प्रति संवेदनशील रवैया रखनेवाले और वास्तव में आदिवासियों की समस्याओं को समझने वाले सभी जागरूक लोगों की सहभागिता होगी, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण महाराष्ट्र के साथ ही पूरे देश के आदिवासियों के लिये निरंतर संघर्ष करनेवाले सुप्रसिद्ध आदिवासी नेता और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे का शामिल होना है. इसके साथ ही गुजरात के आदिवासी नेता नारायण राठवा भी शामिल होंगे. मौके पर अजय तिर्की, शिवा कच्छप, प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की मौजूद थे.

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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