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Ranchi News : अनुभव बोलता है उम्र नहीं

सोशल मीडिया के दौर में ट्रोलिंग एक आम चलन है, लेकिन जब यह ट्रोलिंग सदी के महानायक को निशाना बनाये, तो यह एक सामाजिक विमर्श का विषय बन जाता है.

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को सोशल मीडिया पर अपमानजनक शब्दों में किया गया ट्रोल, उन्होंने दिया बेबाक जवाब, इसके बाद यह मुद्दा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. क्या उम्र किसी की ऊर्जा, रचनात्मकता या समाज में योगदान की सीमा तय कर सकती है?

रांची. सोशल मीडिया के दौर में ट्रोलिंग एक आम चलन है, लेकिन जब यह ट्रोलिंग सदी के महानायक को निशाना बनाये, तो यह एक सामाजिक विमर्श का विषय बन जाता है. हाल ही में अभिनेता अमिताभ बच्चन को उनकी उम्र को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया, जहां कुछ यूजर्स ने अपमानजनक टिप्पणियां की. यह पहली बार नहीं है, जब अमिताभ बच्चन जैसे वरिष्ठ अभिनेता को इस प्रकार की टिप्पणियों का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इस बार परिदृश्य कुछ अलग रहा. सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स के खिलाफ एक बड़ी संख्या में लोगों ने ‘बिग बी’ के समर्थन में आवाज उठायी. प्रशंसकों और फिल्म प्रेमियों ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा : अमिताभ बच्चन उम्र नहीं, ऊर्जा के प्रतीक हैं. अमिताभ बच्चन ने भी इस अवसर पर अपनी चिर-परिचित शैली में बेहद रोचक और गरिमामय ढंग से जवाब दिया, जिसने न केवल ट्रोलर्स को करारा उत्तर दिया, बल्कि उनके प्रशंसकों को भी प्रेरित किया. यह घटनाक्रम महज एक सेलिब्रिटी से जुड़ी घटना नहीं है. यह समाज के उस व्यापक मानसिकता को उजागर करता है, जहां उम्रदराज लोगों की सक्रियता पर प्रश्न उठाये जाते हैं. चाहे राजनीति हो, सामाजिक सेवा, कला हो या व्यवसाय, जैसे ही कोई वरिष्ठ नागरिक सक्रिय रूप से योगदान देना चाहता है, कुछ वर्ग उनकी उम्र को ही उनकी क्षमता का पैमाना बना देते हैं. आज की यह स्टोरी इसी अहम सवाल पर केंद्रित है. प्रस्तुत है पूजा सिंह की रिपोर्ट…

अमिताभ बच्चन की प्रमुख उपलब्धियां, जब अधिकतर लोग थकने लगते हैं

कौन बनेगा करोड़पति : वर्ष 2000 में जब वे 58 वर्ष के थे. केबीसी ने न सिर्फ टीवी इतिहास बदला, बल्कि बिग बी को फिर से जनमानस का चहेता बना दिया. इस शो को वे 80 की उम्र पार करने के बाद भी दमदार तरीके से होस्ट करते आ रहे हैं.

60 वर्ष की उम्र के बाद बिग बिग की सुपरहिट फिल्में…

ब्लैक (2005) : उम्र 63. इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. साथ ही अमिताभ बच्चन को बेस्ट एक्टर का सम्मान.

पा (2009) : तब बिग बी की उम्र 67 वर्ष थी. इस फिल्म में 12 साल के बच्चे का किरदार निभाया. बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी जीता.

शमिताभ, पिंक, 102 नॉट आउट, ठाकरे, बदला, गुलाबो सिताबो जैसी फिल्में, जो 60 के बाद आयीं और हर बार उन्हें अलग अवतार में दिखाया.

वर्ष 2019 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान

इन्हें भी आप नहीं भूल सकते

: महात्मा गांधी ने 60 वर्ष की उम्र के बाद देश को आजादी दिलायी.

: नरेंद्र मोदी 63 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बने. आज 73 वर्ष पार कर चुके हैं, फिर भी उनकी कार्यशैली, ऊर्जा और वैश्विक सक्रियता ये सब दिखाती है कि उम्र नहीं, इच्छाशक्ति और अनुशासन नेतृत्व तय करता है.

: एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति बनने के बाद 70 की उम्र में भी लगातार छात्रों के बीच जाते रहे. ‘विंग्स ऑफ फायर’ जैसी किताबें लिखीं.

: लता मंगेशकर ने 70 की उम्र के बाद भी मंच पर गाया, फिल्मों के लिए प्लेबैक दिया और संगीत को नयी पीढ़ी से जोड़ा.

: आरके लक्ष्मण ने अपने प्रसिद्ध कार्टून ‘कॉमन मैन’ को 80 वर्ष की उम्र तक जारी रखा.

: रे ब्रोइन : विश्व प्रसिद्ध लेखक जिन्होंने 80 वर्ष के बाद भी उपन्यास और कविताएं लिखीं.

: बीआर चोपड़ा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता जिन्होंने 60 की उम्र के बाद ‘महाभारत’ जैसा ऐतिहासिक धारावाहिक बनाया, जिसने उन्हें हर घर में पहचान दिलायी.

एक्सपर्ट की राय

मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है सीधा असर : डॉ भूमिका

डिजिटल युग में जहां सोशल मीडिया एक माध्यम बन गया है लोगों को जोड़ने और अभिव्यक्ति का मंच देने का, वहीं इसके नकारात्मक प्रभाव भी तेजी से सामने आ रहे हैं. खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह एक मानसिक चुनौती बनता जा रहा है. मनोवैज्ञानिक डॉ भूमिका सच्चर के अनुसार यह एक नयी किस्म की साइबर ट्रोलिंग है, जो अब एक ट्रेंड का रूप लेती जा रही है और दुर्भाग्यवश इसके सबसे बड़े शिकार बन रहे हैं बुजुर्ग. डॉ सच्चर कहती हैं वरिष्ठ लोग आमतौर पर सोशल मीडिया से मनोरंजन, समय बिताने या जुड़ाव महसूस करने के लिए जुड़ते हैं. लेकिन, जब उन्हें उनकी उम्र या गतिविधियों को लेकर निशाना बनाया जाता है, तो यह सीधे तौर पर उनके मनोबल को प्रभावित करता है. उन्होंने बताया कि ऐसी ट्रोलिंग के चलते डिप्रेशन, एंजायटी, आत्मअविश्वास जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

अनुभव, संवेदना और सांस्कृतिक मूल्यों के वाहक होते हैं वरिष्ठ नागरिक : डॉ प्रभात

वर्तमान समय में जहां उम्र को लेकर सोशल मीडिया और सार्वजनिक विमर्श में कई तरह की टिप्पणियां देखने को मिल रही हैं, वहीं समाजशास्त्रियों का मानना है कि उम्रदराज लोग किसी भी समाज की मौलिक नींव और दिशा-निर्देशक होते हैं. समाजशास्त्री डॉ प्रभात कुमार सिंह के अनुसार वरिष्ठ नागरिक भारतीय समाज के लिए एक छत्री की तरह होते हैं, जो अनुभव, धैर्य और जीवन के वास्तविक ज्ञान की छाया प्रदान करते हैं. डॉ सिंह ने कहा कि वरिष्ठ लोग अपने जीवन के पड़ाव पर अक्सर अधिक संवेदनशील होते हैं, ऐसे में उनकी भावनाओं की अनदेखी मानसिक और सामाजिक स्तर पर उन्हें आहत कर सकती हैं. डॉ सिंह ने स्पष्ट किया कि उम्र किसी व्यक्ति की क्षमता, ऊर्जा या उपयोगिता का मानक नहीं हो सकती. उन्होंने कहा हर उम्र की अपनी ताकत होती है, जहां युवा अवस्था में जोश और रफ्तार होती है, वहीं बुजुर्गों में अनुभव और दूरदृष्टि होती है. दोनों समाज के लिए समान रूप से आवश्यक हैं. सेलिब्रिटी बोले…

बिग बी को लेकर की गयी टिप्पणी शिष्टाचार के दायरे से बाहर

बॉलीवुड अभिनेता राजेश जैस ने हाल ही में सोशल मीडिया ट्रोलिंग और उम्र को लेकर हो रही आलोचनाओं पर खुलकर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल दौर में एक अभिनेता के लिए अपनी निजी और पेशेवर जिम्मेदारियों में संतुलन बनाये रखना जरूरी हो गया है. राजेश जैस ने साझा किया कि वह स्वयं भी एक बार ट्रोलिंग का शिकार हो चुके हैं, जब उन्होंने अपनी एक फिल्म से जुड़ी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की थी. ट्रोलर को मैंने स्पष्ट किया कि हम अभिनेता एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, जिसमें फिल्म के प्रमोशन के दौरान सोशल मीडिया पर पब्लिसिटी मटेरियल साझा करना हमारी पेशेवर जिम्मेदारी होती है, उन्होंने बताया. महानायक अमिताभ बच्चन को लेकर की गयी सोशल मीडिया टिप्पणी पर उन्होंने कहा, ‘बिग बी जैसे वरिष्ठ अभिनेता के बारे में इस तरह की बातें करना हमारे सामाजिक शिष्टाचार के परिप्रेक्ष्य में अटपटा है. लेकिन, उन्होंने भी अपने अंदाज में ट्रोल को जवाब देकर बात को वहीं खत्म कर दिया.’

73 साल की उम्र में भी फिल्म कर रहा हूं…

झारखंडी फिल्म निर्माता मेघनाथ कहते हैं कि जब तक स्वस्थ हैं, तब तक काम करते रहेंगे. यह काम से हमारी पहचान है. 73 की उम्र में भी काम कर रहा हूं. युवा पीढ़ी को ज्ञान लेना चाहिए. वह हमारे काम से अपना ज्ञान बढ़ा सकते हैं. कुछ लोग हैं जो उम्र को लेकर आलोचना करेंगे, लेकिन अपना काम करते रहना है. अमिताभ बच्चन का लोगों को सम्मान करना चाहिए. मेरा मानना है कि उम्र के साथ काम करने का तरीका जरूर बदलता है. युवा पीढ़ी को उम्र दराज लोगों से प्रेरणा और सीखने की जरूरत है, क्योंकि उनके पास अनुभव और ज्ञान का भंडार होता है.

76 वर्ष की उम्र में पद्मश्री मुकुंद नायक झारखंडी लोक कला से जुड़े हैं. कहते हैं कि उम्रदराज लोगों से युवाओं को सीखने की जरूरत है. उनका अनुभव उनकी कला शैली युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है. इससे युवाओं को सीखने और जानने की जरूरत है. एक आदमी बच्चा से युवा, युवा से वृद्ध और विराम देकर चला जाता है. इसलिए हर किसी को उनका सम्मान, कला से सीख लेने की जरूरत है. चीजें बदलती हैं, नयी चीजें आती हैं, उसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन पुरानी चीजों से सीखना चाहिए. युवाओं को बुजुर्गों के अनुभव लेने से हानि नहीं होगा फायदा ही जीवन में मिलेगा.

उम्रदराज लोग समाज की छत्रछाया हैं, उनका सम्मान जरूरी

बूढ़ा कहना ट्रेंड है. मैं इसे बदसलूकी नहीं मानता. कई दशकों से लोग रिटायर्ड लोगों को बूढ़ा कहना शुरू करते थे, क्योंकि इंसान की औसत उम्र भी लगभग 64 वर्ष ही थी. इतना ही नहीं, लोग खुद को भी बूढ़ा समझने और कहने लगते थे. पर आज की आधुनिक दुनिया में औसत उम्र बढ़ चुकी है. जीवनरक्षक दवाओं की भरमार हो गयी है. मनोरंजन के साधन बढ़ चुके हैं और मनुष्य कुछ बीमारियों के साथ भी शहरों में अमूमन 80 तक तो जी ही लेता है. लोग खुद को भी अब वरिष्ठ या श्रेष्ठ नागरिक कहने और मानने लगे हैं और यह बहुत हद तक सही भी है.

एलके मिश्र, रिटायर्ड महाप्रबंधक, आइआइसीएम

69 वर्ष होने के बाद भी मैं पूरी तरह से एक्टिव हूं. मेडिकल के क्षेत्र में पूरा सहभागिता से काम करता हूं. हालांकि बोलने वालों के लिए कई बार बोल भी देते हैं, इस उम्र में भी काम कर रहे हैं, लेकिन बोलने वालों की बातों पर ध्यान न देकर मैं अपने काम पर ध्यान देता हूं. मेंटली स्ट्रांग रहते हुए काम करता हूं. उम्र को लेकर किये जाने वाली टिप्पणी पर ध्यान न देकर अपना आत्मविश्वास मजबूत रखें. खुद समय पर सोना, उठाना, खाना सब चीजों का ध्यान देता हूं. मेरा मानना है कि उम्र के साथ कुछ परेशानियां जरूर आती हैं, लेकिन स्वास्थ्य ठीक है तो काम करते रहे. क्योंकि, कई देशों के प्रतिनिधित्व करने वाले बड़े-बड़े नेता उम्र दराज लोग ही हैं. इसलिए दूसरी की बातों का परवाह न करें.

डॉ अनिल कुमार, सेवानिवृत्त न्यूरोसर्जन, रिम्स

सोशल मीडिया पर अमिताभ बच्चन के प्रति अमर्यादित टिप्पणियां निंदनीय है. उम्र किसी भी व्यक्ति के सम्मान और गरिमा का मापदंड नहीं हो सकती. समय हर किसी पर समान रूप से असर डालता है. आज जो युवा हैं, कल वही बुजुर्ग होंगे. अमिताभ बच्चन न केवल भारतीय सिनेमा के महान कलाकार हैं, बल्कि उन्होंने समाज के अनेक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. किसी भी सार्वजनिक सेवा या संदेश के लिए उन्हें उपहास का पात्र बनाना हमारी सामूहिक संवेदनशीलता पर प्रश्नचिह्न लगाता है. समाज में आपसी सम्मान और सद्भावना को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाना चाहिए. वरिष्ठ नागरिकों के प्रति मर्यादा, आदर और करुणा का व्यवहार अपनायेंगे.

डॉ रश्मि, डायरेक्टर, स्नेहा ग्रुप्स ऑफ इंस्टीट्यूशंन B

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