21.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Video : स्त्री शक्ति का उत्सव है टुसू परब, 30 दिनों तक ऐसे मनाया जाता है टुसू

घर की कुंवारी कन्याएं प्रतिदिन संध्या समय में टुसू की पूजा करती हैं

टुसू झारखंड के कुड़मी और आदिवासियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है. यह जाड़ों में फसल कटने के बाद एक महीने तक मनाया जाता है. लेकिन क्या टुसू पर्व सिर्फ फसल कटने की खुशी में मनाया जाता है. या इसके पीछे कोई और भी महत्व है. चलिए जानते है टुसू के महत्व और इसके पीछे जुड़ी कहानी को. इस उत्सव को अगहन संक्रांति (15 दिसंबर) से लेकर मकर संक्रांति (14 जनवरी) तक इसे कुंवारी कन्याओं के द्वारा टुसू पूजन के रूप में मनाया जाता है. घर की कुंवारी कन्याएं प्रतिदिन संध्या समय में टुसू की पूजा करती हैं. टुसू पर्व को नारी सम्मान के रूप में भी मनाया जाता है. लगभग एक माह तक चलने वाले इस पर्व के दौरान कुंवारी कन्‍याओं की भूमिका सबसे अधिक होती है. कुंवारी कन्याएं टुसू की मूर्ति बनाती हैं और उसकी सेवा-भावना, प्रेम-भावना, शालीनता के साथ पूजा करती हैं. पूजा के दौरान लड़कियां विभिन्न प्रकार के टुसू गीत भी गाती हैं. मकर संक्रांति के दिन टुसू पर्व मानाया जाता है और फिर उसके अगले दिन इसे नदी में प्रवाहित किया जाता है. मकर संक्रांति के एक दिन पहले पुरुषों द्वारा बिना बाजी का मुर्गोत्सव मनाया जाता है जिसे बाउड़ी कहा जाता है. इस उत्सव से लौटने के उपरांत सारी रात लोग गाते- बजाते हैं. सुबह सभी ग्रामीण मकर स्नान के लिए नदी पहुंचते हैं. स्नान के दौरान गंगा माई का नाम लेकर मिठाई भी बहाते हैं. उत्‍सव और मेले का आनंद लेने के बाद टुसू का विसर्जन गाजे-बाजे के साथ कर दिया जाता है.

Raj Lakshmi
Raj Lakshmi
Reporter with 1.5 years experience in digital media.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel