एक्सआइएसएस की रिपोर्ट : उषा मार्टिन फाउंडेशन ने संस्थागत प्रसव से लेकर एनीमिया की रोकथाम तक, ग्रामीण स्वास्थ्य में लाया बड़ा बदलाव
रांची. झारखंड के दूर-दराज के गांवों में, जहां आज भी इलाज की सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती, वहां उषा मार्टिन फाउंडेशन ने अपने स्वास्थ्य कार्यक्रमों से हजारों ग्रामीणों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है. फाउंडेशन के आरोग्यम प्रोजेक्ट को शालिनी अस्पताल के माध्यम से संचालित किया जा रहा है. इसके तहत हेसल, सिलवई, मासू और उलातू जैसे गांवों में किशोरियों में एनीमिया की समस्या में कमी दर्ज की गयी है. वहीं, संस्थागत प्रसव दर सौ प्रतिशत तक बढ़ी है. इस योजना की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस, रांची के ग्रामीण प्रबंधन के छात्र मुकुल मक्कड़ और आर्य सिंह ने 18 गांवों में वर्ष 2024-25 की स्वास्थ्य पहलों का सर्वेक्षण कर एक रिपोर्ट तैयार की. रिपोर्ट के अनुसार, एनीमिया रोकथाम कार्यक्रम के तहत 153 किशोरियों को आयरन-फोलिक एसिड की गोलियां और पोषण पर काउंसलिंग दी गयी, इससे 78 किशोरियों के हीमोग्लोबिन स्तर में सुधार हुआ और उनकी स्कूल उपस्थिति में वृद्धि देखी गयी.महिलाओं को 20 हजार तक की आर्थिक बचत
संस्थागत प्रसव योजना के अंतर्गत 139 गर्भवती महिलाओं को प्रसवपूर्व देखभाल की सुविधा दी गयी, जिससे अस्पताल में सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा मिला. इससे परिवारों को औसतन 20000 रुपये तक की आर्थिक बचत हुई, जो पहले निजी इलाज और यात्रा पर खर्च होते थे. मोतियाबिंद ऑपरेशन की सुविधा से 95 से अधिक मरीजों की आंखों की रोशनी लौटी, जिससे उनका आत्मविश्वास और सामाजिक सहभागिता बढ़ी. फाउंडेशन के सचिव डॉ मयंक मुरारी ने बताया कि इसके अलावा 87 मोबाइल स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से 3738 लोगों का नि:शुल्क इलाज किया गया. इनमें बुखार, बदन दर्द, त्वचा, आंख, दांत, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी सामान्य बीमारियों का इलाज शामिल था.फाउंडेशन की योजनाओं से 4477 लोगों को लाभ
शिविरों में इलाज कराने वाले 83 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य में सुधार महसूस किया और प्रत्येक ने औसतन 504 रुपये की बचत की. साथ ही 447 बच्चों ने स्कूलों में आयोजित सात योग सत्रों में भाग लिया, जिससे उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिला. कुल मिलाकर फाउंडेशन की योजनाओं ने 4477 लोगों को सीधे लाभ पहुंचाया है. यह दर्शाता है कि सही योजना, सहभागिता और जमीनी क्रियान्वयन के साथ ग्रामीण झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं में प्रभावी और टिकाऊ बदलाव संभव है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है