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VIDEO : चरम पर महंगाई, दाल-जीरे समेत खाने-पीने वाली इन चीजों के बढ़े भाव

देश में टमाटर का दाम 200 रुपये किलो पहुंचने के बाद अब भी नेफेड और एनसीसीएफ ने किफायती दर पर 40 रुपये किलो टमाटर बेचने का बीड़ा उठा लिया है. इन दोनों सहकारी संस्थानों ने सबसे पहले मुनाफाखोरों पर प्रहार करते हुए 90 रुपये किलो टमाटर बेची. इसके बाद उन्होंने 50 रुपये किलो के भाव पर इसकी बिक्री की.

रांची : भारत में महंगाई अपने चरम पर है. बरसात की मौसम में न केवल आलू, टमाटर और प्याज की कीमतें आसमान पर हैं, बल्कि चावल, दाल, आटा और मसालों के भाव भी लोगों को हाथ धरने नहीं दे रहे हैं. दाल-जीरे समेत कई खाद्य सामग्रियों के भाव बढ़े हुए है, जिससे रसोई का बजट गड़बड़ा गया है. आलम यह कि राशन दुकानों पर 75 रुपये किलो बिकने वाली मसूर की दाल के भाव में अचानक 10 रुपये किलो की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, तो अरहर या तूअर की दाल भी 140 रुपये के स्तर पर पहुंच गई है.

हालांकि, राहत की बात यह है कि देश में टमाटर का दाम 200 रुपये किलो पहुंचने के बाद अब भी नेफेड और एनसीसीएफ ने किफायती दर पर 40 रुपये किलो टमाटर बेचने का बीड़ा उठा लिया है. इन दोनों सहकारी संस्थानों ने सबसे पहले मुनाफाखोरों पर प्रहार करते हुए 90 रुपये किलो टमाटर बेची. इसके बाद उन्होंने 50 रुपये किलो के भाव पर इसकी बिक्री की. अब वे रविवार से 40 रुपये किलो इसे बेच रहे हैं.

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) पहले से ही केंद्र सरकार की ओर से रियायती दर पर टमाटर बेच रहा है और अब उसे ‘बफर स्टॉक’ से प्याज की खुदरा बिक्री का काम सौंप दिया गया है. सरकार की ओर से बफर स्टॉक तैयार करने की जिम्मेदारी मिलने के बाद एनसीसीएफ लोगों को प्याज की उच्च कीमतों से राहत देने के लिए सोमवार से दिल्ली में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर सरकारी ‘बफर स्टॉक’ से इसकी खुदरा बिक्री शुरू कर दिया है.

KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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