रांची. झारखंड जैव विविधता पर्षद ने विश्व वानिकी दिवस पर शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन डोरंडा के पलाश भवन में किया. इसमें पर्षद के सदस्य सचिव संजीव कुमार ने कहा कि वानिकी में उपलब्ध जैव विविधता से अपना जीवनयापन किया जा सकता है. इसमें पर्षद से सहयोग भी मिल सकता है. तसर, लाह, बांस और जड़ी बूटी के क्षेत्र से जीवकोपार्जन के साधन विकसित हो सकते हैं. सारंडा में उपलब्ध तसर विश्व का सबसे बड़ा स्रोत है और वहां की आदिवासी महिलाएं इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा रही हैं.
मुखिया, उपमुखिया और विद्यार्थी हुए शामिल
कार्यशाला में जैव विविधता प्रबंधन समिति के मुखिया, उपमुखिया और विद्यार्थी आदि शामिल हुए. रांची के दाहु ग्राम के महावीर मेहली, तेजनारायण गंजू, रमेश चंद्र कुम्महार, जहाना प्रवीण, नीतू तिर्की, अनीता तिर्की, अरुण कुमार महली, दिनेश तिग्गा, आकाश कुमार महतो, उम्मे अम्मारा और मनीषा शंकर अपनी पंचायत के लोगों को जीवकोपार्जन का साधन बतायेंगे.
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