Kharsawan Community Health Center News| खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : खरसावां का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाल है. खपरैल के भवन में चल रहा है. स्वास्थ्य केंद्र महज 3 चिकित्सकों के भरोसे चल रहा है. हालांकि, सीएचसी में 5 चिकित्सक पदस्थापित हैं, लेकिन इनमें से डॉ वीरांगना सिंकु, डॉ कन्हाई लाल उरांव व डॉ अर्चना कुमारी ही अपनी सेवा दे रहे हैं. डॉ दीपक कुमार को जुगसलाई सीएचसी और डॉ एसएच रिजवी को चांडिल सीएचसी में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है. ऐसे में प्रखंड के करीब 18 हजार परिवार यानी 90 हजार लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी इन्हीं तीन चिकित्सकों पर है. तीन चिकित्सक बारी-बारी से ड्यूटी कर अस्पताल का संचालन व मरीजों का इलाज करते हैं. करीब दो दशक पूर्व यहां चिकित्सकों के लिए सात पद सृजित किये गये थे, लेकिन कभी भी यहां सभी पदों पर पदस्थापना नहीं हो सकी है. ड्रेसर की कमी के कारण दुर्घटना में घायल लोगों का प्राथमिक उपचार करने में परेशानी हो रही है.
सीएचसी में आइपीडी की व्यवस्था नहीं, सिर्फ ओपीडी की सुविधा
खरसावां सीएचसी का भवन काफी पुरानी है. अस्पताल का ओपीडी, ड्रेसिंग रूम, मेडिसीन स्टोर पुराने खपरैल मकान में चल रहा है. यहां मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह की काफी कमी है. ऐसे में आइपीडी की व्यवस्था नहीं है. इसे रेफरल यूनिट के रूप में संचालित किया जा रहा है. विशेष परिस्थिति के लिए छह बेड लगाये गये हैं. यहां प्राथमिक उपचार के बाद किसी मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति में सरायकेला सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है. खरसावां सीएचसी में सिर्फ ओपीडी की ही व्यवस्था है. खरसावां सीएचसी से करीब तीन किमी दूर हरिभंजा के पीएचसी परिसर में लेबर रूम बनाया गया है. यहीं पर मरीजों का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ड्रेसर, हेल्थ वर्कर, बेसिक हेल्थ वर्कर, सर्विलांस वर्कर के पद रिक्त
खरसावां सीएचसी में महिला स्वास्थ्य परिदर्शिका (एलएचवी), बहुउद्देशीय कार्यकर्ता (एमपीडब्लू), फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, प्रखंड प्रचार प्रशिक्षक, स्वास्थ्य निरीक्षक, पुरुष कल्याण कार्यकर्ता, चालक, महिला कक्ष सेवक, आदेशपाल, झाड़ूदार, ट्रेंड दाई के सभी पद रिक्त हैं. एएनएम के लिए स्वीकृत पांच में से तीन पद खाली हैं. लेबर रूम में भी एएनएम की भारी कमी है.
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घट रही ओपीडी व आइपीडी में मरीजों की संख्या
चिकित्सकों की कमी व अस्पताल परिसर में जगह की कमी के कारण अस्पताल में लगातार मरीजों की संख्या में भी कमी आयी है. पहले खरसावां सीएचसी में इलाज कराने के लिए रोजाना औसतन 100 मरीज पहुंचते थे. वर्तमान में ओपीडी में औसतन रोज 50-60 मरीज ही पहुंचते हैं. अस्पताल में दवा का पर्याप्त भंडारण है. अस्पताल में एक्स-रे, रक्त जांच को छोड़ कर कोई सुविधा नहीं है.
अनुबंधित एएनएम के भरोसे टीकाकरण
प्रखंड में कुल 21 स्वास्थ्य उप केंद्र हैं. इन केंद्रों का संचालन एनआरएचएम से अनुबंध पर नियुक्त एएनएम के भरोसे हो रहा है. एचएससी में नियमित टीकाकरण इन्हीं एएनएम के जरिए होता है. एसएचसी के लिए बुनियादी स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सभी चार, स्वास्थ्य कार्यकर्ता व सेवक के सभी तीन-तीन पद रिक्त पड़े हैं.
एंबुलेंस भी बदहाल
खरसावां सीएचसी में एक एंबुलेंस चालू अवस्था में है. पूर्व में सीएचसी को उपलब्ध कराये गये बड़े साइज के एंबुलेंस रख-रखाव के अभाव में जर्जर हो गये हैं. खरसावां में 108 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध है. प्रखंड में कुल 26 ममता वाहन की जरूरत है. वर्तमान में सिर्फ 9 ममता वाहन ही कार्यरत हैं. खरसावां सीएचसी में स्टॉफ क्वार्टर तक की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में चिकित्सक से लेकर कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अधिकतर कर्मी किराये के घर में रहते हैं.
खरसावां सीएचसी में चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी समेत संसाधनों की कमी है. विभाग को इस संबंध में पत्र लिखा गया है. सीमित संसाधनों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का प्रयास किया जा रहा है.
डॉ वीरांगना सिंकु, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, खरसावां
खरसावां ब्लॉक कैंपस में 2 साल में बनकर तैयार होगा सीएचसी भवन
वर्तमान में खरसावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन करीब 75 साल पुराने भवन में हो रहा है. अस्पताल का ओपीडी, ड्रेसिंग रूम, मेडिसीन स्टोर पुराने खपरैल मकान में संचालित हो रही है. भवन पूरी तरह से जर्जर है. अगले डेढ़ से दो साल में खरसावां सीएचसी को नया भवन मिल जायेगा. नये सीएचसी भवन में सभी तरह की सुविधाएं होंगी. यहां विशेष तौर पर आइपीडी सेवा के लिये (मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के लिये) 30 बेड की भी व्यवस्था होगी. खरसावां ब्लॉक कैंपस में नया सीएचसी का नया भवन बन रहा है. इस पर करीब 11 करोड़ की लागत आयेगी. दो माह पूर्व ही नये सीएचसी भवन का शिलान्यास किया गया. फिलहाल निर्माण कार्य अभी शुरुआती दौर में है. इसी भवन के पास ही प्रसव गृह का भी निर्माण कराया जा रहा है.
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