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25 स्टार्ट-अप को 1.2 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली

50 से अधिक आवेदनों में से 25 स्टार्टअप टीमों का चयन किया गया और उन्हें डीएसटी निधि-प्रयास और मीटी जेनेसिस योजनाओं के तहत 1.2 करोड़ का प्रोटोटाइप और सीड अनुदान दिया गया.

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परिचय: ऑफर लेटर सौंपते निदेशक प्रो. के.उमामहेश्वर राव तथा कार्यक्रम में प्रतिभागी

प्रतिनिधि, राउरकेला

एनआइटी राउरकेला में फाउंडेशन फॉर टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस इनक्यूबेशन (एफटीबीआइ) ने सोमवार को एक अनुदान पुरस्कार समारोह का आयोजन किया. शुरुआती चरण के स्टार्टअप के बीच नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने में इस कार्यक्रम को एनआइटी ने एक महत्वपूर्ण कदम बताया. 150 से अधिक आवेदनों में से 25 स्टार्टअप टीमों का चयन किया गया और उन्हें डीएसटी निधि-प्रयास और मीटी जेनेसिस योजनाओं के तहत 1.2 करोड़ का प्रोटोटाइप और सीड अनुदान दिया गया. चयनित टीमों में युवा उद्यमियों के साथ-साथ एनआइटी राउरकेला के कई संकाय-छात्र समूह शामिल हैं. एनआइटी राउरकेला के निदेशक प्रो के उमामहेश्वर राव ने कार्यक्रम चयनित इनोवेटर्स को ऑफर लेटर सौंपे. प्रो राव ने कहा कि यह पहल एफटीबीआइ के तकनीकी उद्यमिता का समर्थन करने और संस्थान के भीतर और बाहर एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के निरंतर प्रयासों को उजागर करती है. कार्यक्रम में प्रो. मनोज कुमार मिश्रा (अध्यक्ष, एफटीबीआइ) ने स्टार्टअप के सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि चयनित स्टार्टअप को अपने विचारों को आगे बढ़ाने और व्यावसायीकरण करने के लिए 1.2 करोड़ रुपये का प्रोटोटाइपिंग और सीड अनुदान मिलेगा. इन योजनाओं के तहत चुने गये स्टार्टअप स्वास्थ्य सेवा, कृषि-तकनीक, पर्यावरण प्रौद्योगिकी, कपड़ा, उन्नत विनिर्माण और स्मार्ट बुनियादी ढांचे सहित कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. वित्तीय और मेंटरशिप सहायता के अलावा, एफटीबीआइ ने सीएनसी प्रेस, लेजर एनग्रेवर, लेजर कटिंग मशीन, मिलिंग उपकरण और यूवी प्रिंटिंग सिस्टम जैसे उन्नत हार्डवेयर खरीदकर इनोवेटर्स की सहायता के लिए अपने प्रोटोटाइपिंग बुनियादी ढांचे को काफी मजबूत किया है. प्रो मिश्रा ने यह भी बताया कि डीएसटी की एक स्टार्टअप पहल टेक्समिन ने एफटीबीआई में ‘साइबर-भौतिक प्रणालियों’ पर उत्कृष्टता केंद्र खोला है. टेक्समिन (अन्वेषण एवं खनन में प्रौद्योगिकी नवाचार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी एक स्टार्टअप पहल है. मीटी जेनेसिस योजना के तहत, चार होनहार स्टार्टअप को सहायता के लिए चुना गया- एपस्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, क्विक्सोटिक्स बायोप्रिंटिंग प्राइवेट लिमिटेड, लोवा एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड और झुम्पा हर्बल्स कॉस्मेटिक प्राइवेट लिमिटेड. ये उद्यम एनआइटी राउरकेला के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से उभरती हुई डीप-टेक और प्रभाव-संचालित उद्यमिता की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाते हैं. पशु चिकित्सा घाव भरने वाले हाइड्रोजेल, फलों और सब्जियों के लिए नैनो-खाद्य कोटिंग, बायोइंस्पायर्ड बियरिंग्स, खदान सुरक्षा के लिए वायरलेस सेंसर नेटवर्क और स्मार्ट स्याही के साथ 3डी प्रिंटिंग जैसे नवाचारों पर काम करने वाले 21 स्टार्टअप को डीएसटी निधि-प्रयास के तहत अनुदान मिला. एफटीबीआई, डीएसटी निधि-प्रयास और मीटी जेनेसिस जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ अपने निरंतर सहयोग के माध्यम से नवीन विचारों को व्यवहार्य उत्पादों और उद्यमों में बदलने में मदद करने के लिए वित्तीय सहायता, सलाह और व्यवसाय विकास सहायता प्रदान करके स्टार्टअप को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखता है.

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