बैसाखी साहित्य संसद का 35वां वार्षिकोत्सव मना, कई साहित्यकार व कवि शामिल हुए (फ्लैग)
Roukela News : हम आध्यात्मिक चेतना से दूर होते जा रहे हैं, इसलिए ओड़िया साहित्य में कालजयी साहित्य का सृजन नहीं हो रहा है. यदि हमारी भाषा रंग है, तो हमारा साहित्य उसकी विविधता है. यह कहना है प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ हरिहर कानूनगो का, जो बैसाखी साहित्य संसद के 35वें वार्षिक समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे. बैसाखी साहित्य संसद के कार्यकारी अध्यक्ष शशधर पंडा की अध्यक्षता में राउरकेला शहर के छेंड स्थित धामरा संघ परिसर में यह उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर विधायक शारदा प्रसाद नायक ने उद्घाटन वक्ता के रूप में भाग लिया और स्वर्गीय बेणुधर दास द्वारा स्थापित बैसाखी साहित्य ससंद की चर्चा की तथा सुझाव दिया कि यह संस्था ओड़िया भाषा साहित्य का राजदूत बने.ओड़िया साहित्य में आधुनिकता की मधुरता और मिठास : डॉ देवाशीष
मुख्य वक्ता प्रसिद्ध भाषाविद् और क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भुवनेश्वर में ओडिया भाषा के प्रोफेसर डॉ देवाशीष महापात्र ने ‘आधुनिक साहित्य की स्थिति और गति’ शीर्षक से आयोजित परिचर्चा में भाग लेते हुए कहा कि ओड़िया साहित्य में आधुनिकता की मधुरता और मिठास का अनुभव हो रहा है. आधुनिकता समय के साथ बदलती है. उन्होंने भारत की अन्य भाषाओं की तुलना में ओड़िया भाषा के उत्कृष्ट भाषा विज्ञान और व्याकरण की चर्चा की और कहा कि ओड़िया भाषा की आधुनिकता और एक विशेष कालखंड में इसकी स्थिति और आंदोलन अलग-अलग थे. विधायक शारदा प्रसाद नायक ने संगठन के कार्यक्रमों की सराहना की तथा आने वाले दिनों में भाषा साहित्य को बढ़ावा देने का आह्वान किया. अध्यक्ष शशधर पंडा ने संस्था के दृष्टिकोण और भाषा एवं साहित्य के प्रति प्रतिबद्धता पर चर्चा की. वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ किशोरी दास, डॉ उमाकांत पंडा, ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केशव चंद्र राउत ने भी भाषण दिया और ओडिशा भाषा और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. इस अवसर पर डॉ हरिहर कानूनगो को बैसाखी सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया और डॉ. देवाशीष महापात्रा , बसंती पृषेठ और पूर्णचंद्र जेना को बैसाखी संस्कृति पुरस्कार से और कवि उपेन्द्र बस्तिया को बेणुधर दाश स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इस अवसर पर उपस्थित सभी पत्रकारों को संस्था की ओर से सम्मानित किया गया. अतिथियों ने संसद की वार्षिक पत्रिका ‘बैसाखी’ का विमोचन किया. सुशांत नायक द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान संसद के महासचिव चंद्रध्वज माझी ने संगठन द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी. कार्यक्रम के अंत में संसद की संयुक्त सचिव निरुपमा नायक ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा. कार्यक्रम के दूसरे चरण में वरिष्ठ लेखिका विजयलक्ष्मी पटनायक और रेवती बल्लव बेहरा, चिन्मयी पुरोहित, सुचिस्मिता पंडा और रीनारानी स्वांई द्वारा आयोजित काव्य पाठ कार्यक्रम में शहर के कवियों ने कविता पाठ किया. इस कार्यक्रम में शहर के विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए. बैसाखी साहित्य संसद के संस्थापक स्व. बेणुधर दाश के परिवार के सदस्यों ने कार्यक्रम के आयोजन में भाग लिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है