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Rourkela News: धातुकर्म प्रक्रियाओं में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण पर जोर

Rourkela News: आइइआइ ने एनआइटी के सहयोग से धातुकर्म एवं पदार्थ अभियांत्रिकी का 38वां राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया.

Rourkela News: इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (आइइआइ), भारत ने एनआइटी राउरकेला के सहयोग से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला में धातुकर्म एवं पदार्थ अभियांत्रिकी का 38वां राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रक्रिया धातुकर्म में क्षमता निर्माण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया. मुख्य अतिथि प्रो के उमामहेश्वर राव (निदेशक, एनआइटी राउरकेला) ने मुख्य अतिथि इंजीनियर अतनु भौमिक (पूर्व निदेशक प्रभारी, आरएसपी और प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस, धातुकर्म एवं पदार्थ अभियांत्रिकी, एनआइटी), इंजीनियर किशोर कुमार मेहरोत्रा (अध्यक्ष, एमएमडीबी, आइइआइ), इंजीनियर संतोष कुमार पोलाकी (अध्यक्ष, आइइआइ, राउरकेला स्थानीय केंद्र), प्रोफेसर (डॉ) अजीत बेहरा (मानद सचिव-संयोजक, आइइआइ, राउरकेला केंद्र) की उपस्थिति में कार्यक्रम का उद्घाटन किया.

प्रक्रिया धातुकर्म में क्षमता निर्माण शीर्षक विषय पर विशेषज्ञों ने साझा किये विचार

प्रो राव ने उपस्थित लोगों को प्रक्रिया धातु विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक क्षमताओं, कौशल, संसाधनों और बुनियादी ढांचे को मजबूत और उन्नत करने के लिए प्रेरित किया, जो अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण और शोधन तथा पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं से संबंधित है. इस आयोजन का उद्देश्य धातुकर्म प्रक्रियाओं में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सामग्रियों के प्रसंस्करण से जुड़ी तकनीक, तकनीकी अवसंरचना, अनुसंधान क्षमताओं और औद्योगिक साझेदारियों का विकास करना था. कुशल, पर्यावरण के अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य धातु निष्कर्षण और प्रसंस्करण तकनीकों की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. सम्मेलन ने हमारे देश के सभी धातुकर्म पेशेवरों को एक साथ आने का सबसे बड़ा मंच प्रदान किया. चूंकि वैश्विक धातु और सामग्री उद्योग संसाधनों की कमी, पर्यावरणीय बाधाओं और उच्च-प्रदर्शन सामग्रियों की आवश्यकता जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए प्रतिस्पर्धात्मकता, आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक विकास बनाये रखने के लिए क्षमता निर्माण आवश्यक हो जाता है. यह सम्मेलन कुछ सुझाये गये समाधानों पर प्रकाश डालता है. इस दो दिवसीय सम्मेलन में 11 समानांतर सत्र आयोजित किये गये, जिनमें 11 मुख्य व्याख्यान, 12 आमंत्रित व्याख्यान और भारत के अंदर और बाहर से 140 से अधिक सहायक व्याख्यान शामिल थे. सम्मेलन में 45 संगठनों ने भाग लिया. कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने इस आयोजन में मुख्य और आमंत्रित व्याख्यान दिये. तकनीकी सत्रों के माध्यम से धातुकर्म और सामग्री इंजीनियरिंग की विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकों और प्रक्रिया धातुकर्म में नवाचारों पर चर्चा की गयी.

पांच प्रतिष्ठित भारतीय हस्तियों को मिले राष्ट्रीय पुरस्कार

उद्घाटन समारोह में, इंजीनियरिंग और अनुसंधान के क्षेत्र में उनके प्रत्यक्ष योगदान के लिए पांच प्रतिष्ठित भारतीय हस्तियों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये गये. प्रख्यात इंजीनियर पुरस्कार विजेताओं में जगदीश अरोड़ा (निदेशक-परियोजना एवं तकनीकी, नाल्को, भारत), डॉ वकील सिंह (पूर्व प्रोफेसर, धातुकर्म इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी, बीएचयू), डॉ केएल साहू (मुख्य वैज्ञानिक, सामग्री इंजीनियरिंग प्रभाग और प्रोफेसर एसीएसआइआर), युवा इंजीनियर पुरस्कार विजेताओं में डॉ अवनीश कुमार चंदन (वरिष्ठ वैज्ञानिक, मेट डिवीजन, सीएसआइआर-एनएमएल, जमशेदपुर), स्मिता टोप्पो (वरिष्ठ प्रबंधक, स्टीलमेकिंग एंड कास्टिंग ग्रुप, आरडीसीआइएस, सेल, बोकारो) शामिल हैं. श्री पीएम कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक के प्रसाद समापन सत्र के मुख्य अतिथि थे. प्रो अंशुमान पात्रा, धातुकर्म एवं सामग्री अभियांत्रिकी विभाग के प्रो सौमित्र कुमार डिंडा, खनन अभियांत्रिकी विभाग के प्रो सिंगम जयंथु, एनआइटी राउरकेला और इंजीनियर विजय कुमार भोई ने भी कार्यक्रम के समन्वयक के रूप में योगदान दिया.

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