Rourkela News: राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) की ओर से विश्व जनसंपर्क दिवस पर भारतीय जन संपर्क परिषद (पीआरसीआइ), राउरकेला चैप्टर के सहयोग से राउरकेला क्लब के स्पेक्ट्रम हॉल में ‘विश्वास, पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी : जन संपर्क का नया युग’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
स्पष्ट एवं प्रभावी संचार की आवश्यकता पर बल दिया
मुख्य अतिथि आरएसपी के कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) बीआर पलाई ने आज के जन संपर्क परिदृश्य में ‘विश्वास, पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी’ के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि डिजिटल उपकरण तेजी से विकसित होते जा रहे हैं, लेकिन हमारा मूल उद्देश्य-विश्वास कायम करना और सार्थक संबंध बनाना अब भी पहले जैसा ही है. उन्होंने केवल दृश्यता प्राप्त करने से लेकर स्थायी संबंध बनाने तक के बदलाव के बारे में बात की और स्पष्ट एवं प्रभावी संचार की आवश्यकता पर बल दिया.
पेशेवरों से एआइ को उपकरण के रूप में उपयोग करने का आह्वान
मुख्य वक्ता आइआइएमसी, ढेंकानाल के प्रोफेसर एवं पूर्व क्षेत्रीय निदेशक डॉ मृणाल चटर्जी ने इस विषय पर एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण की और जन संपर्क में प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने मौजूद सभी पेशेवरों से एआइ को एक उपकरण के रूप में उपयोग करते हुए ‘रचनात्मक रूप से लिखने और सोचने’ का आग्रह किया. उन्होंने भावनाओं के विश्लेषण, मीडिया निगरानी और विषय तालिका निर्माण में एआइ की सहायता करने की क्षमता पर चर्चा की, साथ ही एल्गोरिदम पूर्वाग्रह और पश्चिम-केंद्रित डिजाइन जैसी महत्वपूर्ण नैतिक चिंताओं को भी रेखांकित किया. उन्होंने यह कहते हुए समापन किया कि भविष्य का जनसंपर्क, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मानवीय रचनात्मकता के समन्वय में निहित है, परंतु अपनी मानवता और सामान्य समझ को जीवित रखना बेहद जरूरी है.
एआइ शब्दों की दीवारें न बनाये, बल्कि समझ के पुल बनाये
विशिष्ट अतिथि आरएसपी के मुख्य महा प्रबंधक (विधि) डॉ चिन्मय समाजदार ने इस बात पर जोर दिया कि जनसंपर्क मूलत: लोगों, विचारों, संस्थानों और समुदायों के बीच संबंधों के बारे में है. उन्होंने आग्रह किया, एआइ केवल संचार का प्रबंधन न करें, बल्कि उसे सुदृढ़ करें. एआइ शब्दों की दीवारें न बनाये, बल्कि समझ के पुल बनाये. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जनसंपर्क की भूमिका अब इतनी विकसित हो चुकी है कि यह नेतृत्व करनेवालों को ईमानदारी से बोलने में मदद करता है, समुदायों को नीतियों को समझने में सहायक होता है, और संस्थाओं को केवल यह बताने नहीं, बल्कि यह समझाने में भी सक्षम बनाता है कि वे जो कर रहे हैं, उसका कारण क्या है. उन्होंने यह कहते हुए समापन किया कि आज एक अच्छा जन संपर्क पेशेवर तथ्यों और भावनाओं, संगठनों और लोगों और जो कहा जाता है और जो वास्तव में सुना जाता है, उसके बीच सेतु निर्माता होता है. डीएमएस की उपाध्यक्ष डॉ प्रतिज्ञा पलाई विशिष्ट अतिथि थीं.
खुले सत्र में प्रतिभागियों ने शंकाओं का किया समाधान
आरएसपी की महा प्रबंधक (जन संपर्क) एवं संचार मुख्य और पीआरसीआइ, राउरकेला चैप्टर की अध्यक्ष अर्चना शतपथी ने कई केस स्टडीज के माध्यम से ‘पुल निर्माण और ध्रुवीकरण को नियंत्रित करना’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किये और इस दिवस के महत्व तथा पीआरसीआइ की गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला. पीआरसीआइ राउरकेला चैप्टर की उपाध्यक्ष डॉ अंजना मोइत्रा ने अतिथियों का परिचय कराया. खुली चर्चा सत्र में, प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक विचार विमर्श किये, मुद्दे उठाये और शंकाओं का समाधान किया. समारोह के दौरान श्री पलाई ने मुख्य वक्ता को सम्मानित भी किया. समारोह की प्रारंभ गण्यमान्यों द्वारा ज्ञान दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई. आरएसपी एवं सचिव पीआरसीआइ, राउरकेला चैप्टर तथा उप प्रबंधक (जन संपर्क) शशांक एस पटनायक ने संक्षिप्त में सत्रों का सारांश पेश की. आरएसपी एवं सदस्य, पीआरसीआइ, राउरकेला चैप्टर सहायक प्रबंधक (जन संपर्क) जयदेव मजूमदार ने समारोह का संचालन किया, जबकि संयुक्त सचिव (पीआरसीआइ) संगीत पटनायक ने धन्यवाद ज्ञापित किया. इस अवसर पर बड़ी संख्या में आरएसपी के जन संपर्क पेशेवर, पीआरसीआइ, राउरकेला चैप्टर के सदस्य, आरएसपी के विभिन्न विभागों के अधिकारी और जनसंचार के छात्रों के संकाय सदस्य उपस्थित थे.
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