Rourkela News: मैटेरियल साइंस और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में हालिया नवाचार और विकास (आरआइडीएमएसइएफ) पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 5 और 6 मार्च को एनआइटी राउरकेला की केंद्रीय अनुसंधान सुविधा (सीआरएफ) इकाई में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से 100 से अधिक लोगों ने सक्रिय भागीदारी की. सम्मेलन का नेतृत्व मुख्य समन्वयक के रूप में प्रो दयाल आर पाढ़ी ने किया, जबकि समन्वयक के रूप में प्रो विमलेंदु अधिकारी और प्रमुख वैज्ञानिक अधिकारी सुधीर बाई थे.
उन्नत तकनीकों को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला
इस सम्मेलन का उद्घाटन पांच मार्च को एनआइटी राउरकेला के प्रभारी निदेशक प्रो प्रदीप सरकार ने किया. उन्होंने विभिन्न इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों के लिए धातु नवाचार के महत्व के बारे में बात की. अपने संबोधन में मुख्य समन्वयक प्रो दयाल आर पाढ़ी ने जोर दिया कि आरआइडीएमएसइएफ सम्मेलन ने सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग के विशेषज्ञों के बीच सहयोग और चर्चा के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान किया. उन्होंने वर्तमान शोध में एक्स-रे फ्लोरोसेंस (एक्सआरएफ), एक्स-रे डिफ्रेक्शन (एक्सआरडी), हाइ-रिजॉल्यूशन मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एचआरएमएस), ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (टीइएम) और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (एसइएम) जैसी उन्नत तकनीकों को एकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला. प्रो पाढ़ी ने कहा कि सम्मेलन में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया कि कैसे सामग्री विज्ञान स्थिरता और तकनीकी प्रगति जैसी वैश्विक चुनौतियों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना था संगोष्ठी का उद्देश्य
प्रो विमलेंदु अधिकारी ने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना, ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और शिक्षा और उद्योग के बीच साझेदारी का निर्माण करना है. उन्होंने कहा कि सम्मेलन ने सामग्री इंजीनियरिंग में नवीनतम प्रगति और उन्नत उपकरणों और तकनीकों के उपयोग में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की. प्रो एरू बनोथ ने बताया कि कैसे सम्मेलन ने अत्याधुनिक नवाचारों और बहु-विषयक दृष्टिकोणों की खोज की, यह प्रदर्शित किया कि कैसे प्रौद्योगिकी भविष्य के लिए सामग्रियों को बदल रही है. समापन में प्रधान वैज्ञानिक अधिकारी सुधीर बाई ने कहा कि सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग में सफलताएं पारंपरिक तरीकों को आधुनिक नवाचारों के साथ जोड़कर संचालित की जा रही हैं. कार्यक्रम का समापन श्री बाई के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. सम्मेलन ने विभिन्न पृष्टभूमियों से पेशेवरों, शोधकर्ताओं और छात्रों को सफलतापूर्वक एक साथ लाया, जिससे ज्ञान साझा करने और नयी शोध दिशाओं की खोज के लिए एक सहायक और सहयोगी वातावरण तैयार हुआ.
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