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Rourkela News: 30,000 करोड़ रुपये से आरएसपी का विस्तार शहर के लिए साबित होगा वरदान

Rourkela News: आरएसपी के विस्तारीकरण के लिए उच्च स्तरीय बैठक पहली बार राउरकेला में आयोजित की गयी.

Rourkela News: राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के प्रस्तावित विस्तारीकरण के लिए गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई. इसमें इस्पात मंत्रालय, राज्य सरकार और आरएसपी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. पूरी प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है. बैठक का मुख्य जोर इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनी के विस्तार से प्रभावित होने वाले परिवारों के पुनर्वास पर था.

आरएसपी के विस्तार से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे

उच्चाधिकार प्राप्त समिति में आरडीसी उत्तरी प्रभाग के सचिन एस यादव, संयुक्त सचिव इस्पात अभिजीत नरेंद्र और डीआइसी आरएसपी आलोक वर्मा शामिल हैं. इससे पहले ऐसी ही एक बैठक दिल्ली में हुई थी, लेकिन उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन के बाद राउरकेला में यह पहली बैठक है. बैठक के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए आरडीसी यादव ने कहा कि आरएसपी का विस्तार समय की मांग है. जब तक बड़े पैमाने पर विस्तार नहीं होता, शहर जो ठहर सा गया है, वैसा ही रहेगा. आरडीसी ने बताया कि 30,000 करोड़ रुपये का विस्तार शहर के लिए एक बड़ा वरदान साबित होगा, क्योंकि इससे चौतरफा विकास होगा. इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह से रोजगार पैदा होंगे और पूरे शहर को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि हम लोगों को बेदखल नहीं करने जा रहे, बल्कि हम यह देख रहे हैं कि उनका पुनर्वास कैसे किया जाये. ताकि सभी खुश रहें और पूरी प्रक्रिया बिना किसी अड़चन के पूरी हो.

विस्थापितों की समस्याओं को सुना

बैठक के दौरान विस्थापितों के कुछ संगठनों के सदस्य भी मौजूद थे. सचिन एस यादव ने कहा कि हमने उनसे व्यक्तिगत रूप से चर्चा की और उनकी मांगों के बारे में सुना. कुछ लोगों के रोजगार के मुद्दे हमें जायज लगे, जबकि कुछ के बारे में हमने उन्हें बताया कि उनके कानूनी निहितार्थ हैं और सरकार को उन पर फैसला लेना होगा. प्रस्तावित विस्तार, जिसकी लागत 30,000 करोड़ रुपये होगी, के लिए 1200 एकड़ से ज्यादा जमीन की जरूरत होगी. यह आरएसपी के पीछे देवगांव की तरफ होगा. आरएसपी के एक सूत्र ने बताया कि यह एक नया प्लांट है, जिसमें ब्लास्ट फर्नेस, एसएमएस, ओबीबीपी, कोक ओवन और प्लांट के लिए जरूरी अन्य इकाइयां होंगी. पूरा होने पर प्लांट की क्षमता वर्तमान 4.5 एमटीपीए से बढ़कर नौ एमटीपीए हो जायेगी. इस परियोजना के लिए 300 से ज्यादा परिवारों को विस्थापित होना पड़ सकता है.

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