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Bhubaneswar News: ओडिशा सरकार जरूरतमंद आदिवासियों और दलितों से खरीदेगी जमीन

Bhubaneswar News: ओडिशा सरकार जरूरतमंद आदिवासियों और दलितों से जमीन खरीदेगी. ओडिशा के राजस्व मंत्री ने यह घोषणा की.

Bhubaneswar News: राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने कहा कि ओडिशा सरकार अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की जमीन को गैर-आदिवासियों और गैर-दलितों द्वारा हड़पे जाने से रोकने के लिए जरूरतमंद लोगों से सीधे भूमि खरीद की योजना बना रही है और इसके लिए एक विशिष्ट कोष बनाया जायेगा. पुजारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अभी तक ऐसी कोई नीति नहीं है.

सभी हितधारकों से परामर्श के बाद लागू की जायेगी योजना

उन्होंने कहा कि यह पहल अभी योजना के स्तर पर है और इसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों सहित सभी हितधारकों से उचित परामर्श के बाद ही लागू किया जायेगा. मंत्री ने कहा कि हालांकि गैर-आदिवासी या गैर-दलितों द्वारा आदिवासियों और अनुसूचित जातियों से जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है, लेकिन यह देखा गया है कि वे अलग-अलग तरीकों से जमीन हासिल कर लेते हैं. ओडिशा भूमि सुधार (ओएलआर) अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों की भूमि गैर-आदिवासियों और गैर-अनुसूचित जातियों द्वारा उप-कलेक्टर की मंजूरी के बिना नहीं खरीदी जा सकती.

आदिवासी इलाज, बेटी की शादी या बच्चों की पढ़ाई के लिए बेच देते हैं जमीन

पुजारी ने कहा कि यह पाया गया है कि कई बार गरीब आदिवासी और दलित लोग इलाज, बेटी की शादी या बच्चों की पढ़ाई जैसी आपात स्थितियों में अपनी जमीन बेच देते हैं. हालांकि, सरकार का प्रयास है कि जरूरतमंदों को वैकल्पिक साधन प्रदान किये जायें, ताकि वे अपनी जमीन न बेचें. उन्होंने कहा कि अब चूंकि सभी गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मिल रही है, तो इस कारण की कोई वैधता नहीं रह गयी है. इसके अलावा एससी/एसटी समुदाय के बच्चों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता भी मिलती है और जल्द ही राज्य सरकार गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना शुरू करेगी.

जमीन बेचने के लिए आवेदनों की जांच का दिया निर्देश

मंत्री ने कहा कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे यह जांच करें कि जमीन बेचने के लिए दायर आवेदन वास्तव में सही हैं या नहीं. उन्होंने कहा, “हमारी जानकारी के अनुसार केवल 10-15 प्रतिशत आवेदन ही वास्तविक होते हैं, बाकी मामलों में लोग बहकावे या लालच में आकर आवेदन देते हैं. इसे रोका जाना चाहिए.

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