कोयला खनन के लिए वन भूमि को बदलने का निर्णय वापस लेने की मांग
Rourkela News : आमदरह और जुनानीमुंडा के ग्रामीणों ने प्रस्तावित ओरिएंट नंबर 3 ओपन-पिट कोयला खदान का विरोध किया तथा परियोजना को रद्द करने और खनन उद्देश्य के लिए वनभूमि को बदलने के निर्णय को वापस लेने की मांग की. ग्रामीणों ने रविवार को झारसुगुड़ा जिलाधीश कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के बाद अतिरिक्त जिलाधीश किशोर चंद्र स्वांई के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें सात प्रमुख मांगें शामिल हैं.वनों पर निर्भर हैं आमदरह व जुनानीमुंडा के ग्रामीण
आमदरह और जुनानीमुंडा आदिवासी गांव हैं. आमदरह में 90 प्रतिशत से अधिक और जुनानीमुंडा में 100 प्रतिशत आदिवासी आबादी है. यहां के निवासी अपनी आजीविका के लिए वन संसाधनों, कृषि और दैनिक मजदूरी पर निर्भर हैं. इस क्षेत्र के घने जंगल, जो ब्रजराजनगर वन रेंज का हिस्सा हैं, जिले में पारिस्थितिक संतुलन बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.खनन के लिए एक भी पेड़ काटने की अनुमति नहीं देंगे : अनंत
विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए लोक मुक्ति संगठन के सलाहकार अनंत ने घनश्याम माझी, विपिन एक्का, उमाकांत नाइक, ग्रेगरी समद और सुषमा कुमुरा के साथ सरकार की खनन नीति की आलोचना की. उन्होंने कहा कि कोयला खनन के लिए वनों की कटाई न केवल आदिवासी समुदायों को विस्थापित करेगी बल्कि पर्यावरण को भी क्षति पहुंचायेगी. अनंत ने कहा कि हम खनन के लिए एक भी पेड़ काटने की अनुमति नहीं देंगे. लोक मुक्ति संगठन के कई स्थानीय नेताओं व सदस्यों सहित 300 से अधिक लोगों ने विरोध में भाग लिया. ग्रामीणों ने राज्य सरकार से जंगल, जमीन और जल की रक्षा करने और क्षेत्र में खनन की अनुमति देने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. कोयला खदान के लिए आमदरह और जुनानीमुंडा जंगल जमीन परिवर्तन के फैसले को वापस लेने, जंगल और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रस्तावित कोयला खदान को लेकर झारसुगुड़ा के जिलाधीश कार्यालय के सामने विरोध कर मुख्यमंत्री के नाम सात सूत्री मांग पत्र सौंपा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है