Rourkela News: नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर राउरकेला आबकारी विभाग और ब्रह्माकुमारीज के संयुक्त तत्वावधान में कई जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुए. सबसे पहले पद यात्रा रैली का आयोजन एलआइसी हाइस्कूल, डेवलप्ड एरिया राउरकेला से किया गया, जो मुख्य मार्ग होते हुए उदितनगर हाइस्कूल पहुंच कर संपन्न हुई.
रैली में 200 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
मुख्य अतिथि राउरकेला एडीएम आशुतोष कुलकर्णी और पानपोष उप-जिलापाल विजय कुमार नायक ने रैली को हरी झंडी दिखायी. इसमें करीब 200 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. इस रैली में म्युनिसिपल कॉलेज के स्काउट एंड गाइड, गुरुकुल आश्रम वेदव्यास, कल्पतरु आश्रम बसंती कॉलोनी, छेंड हाइस्कूल, झीरपानी, ब्रह्माकुमारीज राउरकेला और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल रहे. इस कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों ने युवा पीढ़ी को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग से खुद को बचाने एवं अवैध तस्करी के खिलाफ जागरूक रहने की हिदायत देते हुए वर्तमान के परिपेक्ष्य में ब्रह्माकुमारीज द्वारा चलाये जा रहे नशा मुक्ति जागरुकता अभियान की प्रशंसा की.
नाटक से नशा मुक्ति का दिया संदेश
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ब्रह्माकुमारीज के भाई-बहनों द्वारा प्रस्तुत नशा मुक्ति नाटक था. इसमें संदेश दिया गया कि राजयोग के नियमित अभ्यास से किसी भी प्रकार के व्यसन से सहज ही छुटकारा पाया जा सकता है. नाटक के ज्यादातर किरदारों बीके वेणुधर भाई, बीके बसंत भाई, बीके संतोष भाई, बीके लक्ष्मण भाई, बीके विनायक भाई, बीके संजीव भाई और ब्रह्माकुमारी लक्ष्मीप्रिया बहन ने अपने जीवन के अनुभव सबके साथ साझा करते हुए बताया कि जब तक वह ब्रह्माकुमारीज में नहीं आये थे, किसी न किसी प्रकार के व्यसन से युक्त थे. जैसे ही उन्होंने राजयोग का अभ्यास किया, उनका जीवन सुंदर और नशा मुक्त बन गया. अंत में सबने मिलकर उदितनगर हाइस्कूल में नशा रूपी रावण के पुतले को जलाकर इन बुराइयों से बचने का प्रण लिया.
नृत्य कला से खुश रहने के टिप्स दिये
इसके बाद बाल सुधार गृह में 75 युवाओं के लिए प्रकाश चंद्र त्रिपाठी प्रेरक वक्ता एवं परामर्शदाता की देखरेख में कार्यक्रम संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम में बीके चितरंजन भाई ने सभी को नृत्य कला द्वारा खुश रहने के लिए आवश्यक टिप्स देते हुए जागरूक किया. वहीं बीके राजीव (मेडिकल विंग वक्ता) ने बताया कि नशे का मुख्य कारण मनुष्यों में किसी न किसी प्रकार का बढ़ता विकार अथवा तनाव है. इस बीमारी का कारगर इलाज आध्यात्मिक सशक्तिकरण ही है. कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को पौधा का महत्व समझाते हुए उपहार में पौधे दिये गये.
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