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मीरगंज को पंडित नेहरू की जन्मस्थली से ज्यादा जिस्मफरोशी के धंधे और बदनाम गलियों से मिली पहचान

कांग्रेसी आज भी नहीं जानते कि मीरगंज के किस मकान में हुआ था देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म. इलाहाबाद नगर पालिका ने 1931 में उस मकान को गिरा दिया था. बाद में उसी मीरगंज में रेड लाइट एरिया बस गया था.

Prayagraj News : देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1989 को इलाहाबाद (प्रयागराज) के मीरगंज इलाके में हुआ था. आज देश भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और बच्चों के अजीज रहे चाचा नेहरू का जन्मदिन मना रहा है. नेहरू के पिता मोतीलाल हाईकोर्ट में वकालत करते थे.

जानकार बताते हैं कि मोतीलाल नेहरू शुरू की वकालत और संघर्षों के दिनों में मीरगंज मुहल्ले के मकान नंबर 77 में करीब 10 वर्ष तक रहे थे. पंडित नेहरू का बचपन 10 वर्षों तक इन्हीं गलियों में गुजरा था. पिता मोतीलाल नेहरू की वकालत चमकी तो वह है भारद्वाज आश्रम के पास स्थित आनंद भवन और स्वराज भवन में शिफ्ट हो गए थे. आनंद भवन और स्वराज भवन को देश और दुनिया में पंडित नेहरू के निवास स्थान के रूप में ही जाना जाता है. इससे इतर आज भी लोग जब मीरगंज का नाम लेते हैं तो उनके जहन में नेहरू का जन्मस्थल बाद में और जिस्मफरोशी की वो बदनाम गलियां पहले आती हैं.

यूं तो मीरगंज मोहल्ले में देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था. लेकिन, यह विडंबना ही है कि देश के तीन बार प्रधानमंत्री और लंबे समय तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के बावजूद मीरगंज को उनके जन्मस्थान से ज्यादा बदनाम गलियों और जिस्मफरोशी के धंधे के लिए जाना जाता था. कांग्रेस ने मीरगंज के उस मकान को पंडित नेहरू का म्यूजियम बनाने की पहल की या नहीं इसकी कोई ठीक जानकारी उपलब्ध नहीं है. पंडित नेहरू स्वयं तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे. उनके बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं. इसके बाद भी देश में कांग्रेस का लंबे समय तक शासन रहा. इसके बावजूद कभी किसी ने पंडित नेहरू के जन्मस्थान की सुध नहीं ली.

नेहरू के जन्मस्थल को कांग्रेस ने क्यों भुला दिया. कहीं इसकी वजह जिस्मफरोशी का अड्डा बन चुकी बदनाम गलियां तो नहीं! खैर वजह जो भी हो लेकिन आज मीरगंज में ना तो नेहरू का जन्म स्थल है ना ही जिस्मफरोशी का धंधा. कांग्रेस ने नेहरू के जन्म स्थल को लेकर कुछ किया या नहीं, यह हम नहीं कह सकते लेकिन हां, यहां इतना जरूर कहा जा सकता है कि उन बदनाम गलियों को नई पहचान देने और जिस्मफरोशी के धंधे को बंद कराने के लिए हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने लंबा संघर्ष किया था. संघर्ष में अधिवक्ता सुनील चौधरी को कई बार जान से मारने की धमकी भी मिली थी.उन्होंने मीरगंज से जिस्म फरोशी के धंधे को बंद कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मीरगंज से जिस्मफरोशी के धंधे को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दे दिया है. जिससे अधिवक्ता सुनील चौधरी अपने करियर की सबसे बड़ी जीत आज भी मानते हैं.

बतौर सुनील चौधरी उन्होंने पंडित नेहरू के जन्म स्थान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी थी. उन्हें उस चिट्ठी के जवाब का इंतजार आज भी है. वहीं, दूसरी ओर शनिवार को शहर के पूर्व नगर अध्यक्ष नफीस अनवर से ‘प्रभात खबर’ ने पंडित नेहरू के जन्मस्थल के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने, हैरानी जाहिर करते हुए कहा, की जगह गायब हो गई. उन्होंने बताया पहले एक बड़ा सा प्लॉट पड़ा हुआ था. पहले मीरगंज नहीं था. जब बसा तो वो इधर उधर हो गया. उन्होंने कहा मैं इस बारे में और जानकारी जुटानी पड़ेगी. मीरगंज का वह मकान जिसमें पंडित नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने किराए पर लिया था उसे इलाहाबाद नगर पालिका ने 1931 में गिरा दिया था. देश के प्रथम प्रधानमंत्री बच्चों के अजीज चाचा नेहरू के जन्म स्थल को लेकर यह सवाल हमेशा उठता रहता है कि क्या उनके कभी उनके वास्तविक जन्म स्थल को कभी कोई पहचान मिलेगी भी या नहीं.

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रिपोर्ट : एसके इलाहाबादी

Prabhat Khabar News Desk
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